ऑफ़ Happy International Women’s Day History Quotes Wishes
ठेस न पहुँचाना महिलाओं का, इनके दम से ही विश्व चलता है| पुरुष भी तो जन्मकर इन्ही के गोद में पलता है| Happy International Women’s Day
हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस होता है| आज women’s day celebration पर महिलाओं के सम्मान में कुछ लाइन यहाँ दी जा रहीं है| हमें पूरी उम्मीद है की आपको जरूर पसंद आयेंगी|
नारी जो हर परिस्थिति का सामना डटकर करती है|
औरत, जो अपने पूरे परिवार को अपने सभी बच्चों को संभाल सकती है और उन्हें खुश रख सकती है|
नारी, जो पूरे संसार का काम कर सकती है अपने दो हाथों से | चाहे वो घर संभालना हो या बाहर का कोई काम हो| या बाहर का काम संभालना हो या दोनों काम एक साथ करना हो |
भगवान कहते हैं की दुनिया का कोई कार्य ऐसा नहीं है जो एक नारी नहीं कर सकती है|
नारी बाहर से जितनी नाजुक दिखती है भीतर से उतनी ही मजबूत है|
हर संकट से लड़ना आता है इसे| हर संकट का सामना करना आता है इसे|
ये कोमल जरूर है पर इसे कमजोर समझने की गलती मत करना|
हमारा सभी स्त्रियों से, सभी कन्याओं से एक ही विनती है – अपना महत्व न भूलें, अपने स्वाभिमान को सबसे ऊपर रखें|
किसी से बराबर होने की दौड़ में, अपनी विशिष्टता न खो दें |
आप जैसी हैं, आप जो हैं आप सबसे विशेष हैं|
कहते हैं – यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता | मतलब जहाँ महिलाओं का सम्मान होता है वहीँ देवता निवास करते हैं|
Happy International Women’s Day Wishes
कई फूल चाहिए एक माला बनाने के लिए, कई बूंदे चाहिए समंदर बनाने के लिए| पर एक नारी अकेली ही पर्याप्त है घर को स्वर्ग बनाने के लिए|
सब कुछ करके कुछ न कहना, उसे थोड़ा भी गुमान नहीं महिला होना इतना भी आसान नहीं |
जिसकी कृपा से मुस्कुराकर दर्द भूलकर रिश्तो में बंद है दुनिया सारी| पूरी दुनिया को रोशन करने वाली वो शक्ति है नारी |
आशावादी हूँ अभिलाषी हूँ की ये जोश ये जूनून ये जश्न सिर्फ एक दिन तक सीमित न रह जाए| हर दिन नारी का दिन है हर दिन स्त्री का त्यौहार है हर दिन उत्सव है इंसानियत का जिसके केंद्र में नारी शोभायमान होती आई है |
इस दिन को कई राष्ट्रों ने राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया है| इस दिन महिलाओं के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते है|
कई देशों में आज के दिन नारी और पुरुष एक दूसरे को फूल देते हैं और कहते हैं की हम दोनों समान हैं, कोई फ़र्क हमारे बीच में नहीं है|
लेकिन सवाल ये है अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है ?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए थोड़ा सा इतिहास में हमें जाना होगा आप जानते हैं की पहले महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले शारीरिक और बौद्धिक तौर पर कमतर आंका जाता था|
ये आज भी होता है और बहुत पढ़े लिखे संभ्रांत परिवारों में भी होता है लेकिन पहले ये कुछ ज्यादा हुआ करता था |
कानून धर्मशास्त्र दोनों में ही उनके पराधीनता की व्यवस्था थी| महिलाएं अपने नाम से कोई संपत्ति नहीं खरीद सकती थीं| कोई व्यवसाय नहीं कर सकती थीं|
अगर व्यवसाय करती भीं थीं तो उनके काम के घंटे ज्यादा हुआ करते थे| और पुरुषों के मुकाबले में वेतन कम हुआ करता था| जो की आज भी वेतन के मामले में अगर बात करेंगे तो वेतन में आज भी समानता नहीं दिखती|
फ़्रांसिसी क्रांति के दौरान उठी मांग
तो एक आवाज इतिहास में उठी और फ़्रांसिसी क्रांति के दौरान महिला रिपब्लिकन क्लबों ने ये मांग की थी की आजादी समानता और भ्रातृत्व का व्यवहार बिना किसी लिंग भेद के लागू होना चाहिए|
इसे फेमिनिज्म (स्त्री विमर्श या नारीवाद) से भी जोड़कर देख सकते हैं|
अगर महिला दिवस के सन्दर्भ में हम स्पेसिफिक होकर बात करें तो ये महिला दिवस मजदूर आन्दोलन से उपजा हुआ है|
साल 1908 के आस पास करीब 15000 औरतें, अमेरिका के न्यूयार्क शहर में एक मार्च निकाला और कहा की हमारे नौकरी के घंटे कम करो और बेहतर सैलरी की व्यवस्था की जाए |
यानि बेहतर वेतन की वो मांग कर रहीं थी और साथ मतदान करने का अधिकार भी वो महिलाएं मांग रहीं थीं| 15000 महिलाएं न्यूयार्क शहर साल 1908!
पहले 28 फ़रवरी को महिला दिवस घोषित किया गया
ठीक एक साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ़ अमेरिका ने इस दिन को पहला राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित कर दिया लेकिन वो तारीख 8 मार्च नहीं थी, ये बात 28 फ़रवरी साल 1909 की है|
इसी 28 फ़रवरी को 1917 में सोवियत संघ ने एक राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया लेकिन तब तक ये अंतर्राष्ट्रीय स्वरुप में नहीं आया था | इसे अंतर्राष्ट्रीय बनाने की जो पहल थी वो एक महिला ने किया उनका नाम था क्लारा जेटकिन !
साल 1910 की घटना है- डेनमार्क का कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं की एक अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस के दौरान अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव पेश किया गया |
कहते हैं उस कांफ्रेंस में 17 राष्ट्रों ने भाग लिया था और इन 17 देशों की 100 महिलाएं वहाँ मौजूद थीं| उन सभी महिलाओं ने इस सुझाव का समर्थन किया की हमें इस महिला दिवस को अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर ले जाना चाहिए |
तो सबसे पहले साल 1911 में यूरोप के कुछ देश जिसमे आस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी, स्विट्ज़रलैंड आदि शामिल थे, वहाँ पर पहला अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया| लेकिन तब तक इस आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं प्राप्त थी|
महिला दिवस को एक थीम के रूप में मनाना शुरू
अधिकारिक तौर पर इसे मान्यता तब मिली जब यूनाइटेड नेशन ने साल 1975 में महिला दिवस को एक थीम के रूप में मनाना शुरू कर दिया|
मतलब हर साल एक थीम बनाई जाएगी और उस थीम पर पूरी दुनिया महिला दिवस के दिन विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन करेगी|
इसी तरह जो पहली थीम थी जो संयुक्त राष्ट्र ने रखी थी उसका नाम था – Celebrating the past, Planning for the future
लेकिन अभी तक 8 मार्च का दिन नहीं आया तो सवाल ये है की ये दिन आया कहाँ से ?
तो क्लारा जेटकिन जिन्होंने ये सुझाव दिया था अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का| उन्होंने इस दिवस को मनाने के लिए कोई भी तारीख किसी के सामने नहीं रखी थी|
साल 1917 में जब युद्ध चल रहा था तब रूस में महिलाओं ने ब्रेड एंड पीस यानि खाना और शांति इन दो चीजों की मांग की|
की हमें खाना भी चाहिए और शांति भी चाहिए| इसके लिए महिलाओं ने हड़ताल की| उस समय रूस में जूलियन कैलेंडर का इस्तेमाल किया जाता था|
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 8 मार्च को महिला दिवस मनाया गया
जिस दिन महिलाओं ने ये हड़ताल शुरू की थी वो तारीख थी 23 फ़रवरी लेकिन ग्रेगोरियन कैलेंडर में ये दिन 8 मार्च को पड़ता था| और वहीँ से ये दिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 8 मार्च को मनाया जाने लगा
साल 1946 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने नारियों की दशा पर एक आयोग का गठन किया था जिसकी जिम्मेवारी ये थी की दुनिया भर में नारियों के लिए समान राजनितिक अधिकार समान शैक्षिक अधिकार और समान आर्थिक अधिकार के अवसर उन्हें हासिल हों|
दुनिया को महिलाओं के इन सभी अधिकारों को याद दिलाने के लिए एक आयोग का गठन किया गया था|
लेकिन यहाँ पर जो बात समझना बहुत जरुरी है की शुरू में जो नारीवादी आन्दोलन चला था शुरुआत में जो नारियों की मांग थी जो लड़ाई चली थी वो आज की लड़ाई से काफी भिन्न है|
Happy International Women’s Day History
पहले महिलाएं लोकतान्त्रिक अधिकारों के लिए संघर्ष करती थीं| जिसमे शिक्षा और रोजगार का अधिकार, संपत्ति का मालिक होने का अधिकार, मतदान का अधिकार, संसद में प्रवेश पाने का अधिकार, तलाक का अधिकार आदि खास मुद्दे हुआ करते थे|
दूसरे शब्दों में कहें तो ये महिलाएं कानूनी अधिकारों के लिए अपनी लड़ाई लड़ रहीं थीं| ये संघर्ष घर और परिवार से बाहर का संघर्ष था| लेकिन आज स्त्रियों के समक्ष ये कठिनाईयां तो हैं ही|
यानि वो कानूनी सुधारों के लिए आज भी लड़ रहीं हैं लेकिन उनकी लड़ाई इससे कहीं आगे जा चुकी है| वो अब घर के अन्दर, परिवार द्वारा उनके शोषण के विरुद्ध, समाज, संस्कृति और धर्म में उनके स्थान को हीन समझा जाना|
इसके विरुद्ध समझा जाना और बच्चे को जन्म देना से लेकर यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठाने तक ये तमाम संघर्ष, नारियों के संघर्ष में शामिल हो चुके हैं|
भारत की बात करें
अगर भारत की बात करें तो भारत में जो शुरुवाती आन्दोलनकर्ता थे उनमे मुख्य थीं पंडित रमाबाई और सावित्री बाई फूले|
इन दोनों ने ही उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में सक्रियता निभाई| पंडित रमाबाई ने नारियों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया वहीँ सावित्री बाई फूले ने स्त्रियों की शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण काम किये|
महिलाओं के लिए अलग स्कूल खोले, एक तरह से हम उन्हें राष्ट्र की पहली अध्यापिका कह सकते हैं|
ये बात पूरी तरह से सच है की पिछले दो सौ वर्षों में स्त्रियों ने काफी प्रगति की है| हमारे संविधान में काफी हद तक औरतों को बराबरी का दर्जा भी दिया गया है लेकिन इन सबके बावजूद हर देश में स्त्रियों को न समान अधिकार है न पूरी तरह से स्वतंत्रता|
Happy International Women’s Day
पुरुष प्रधान समाज में पुरुषों की सत्ता का बोलबाला आज भी है| अगर आप दक्षिण एशिया में देखें तो महिलाएं सबसे कम मजदूरी वाले रोजगार में संलग्न हैं| बहुत सी औरतें अनौपचारिक क्षेत्र में रोजगार पाती हैं वहाँ पर बहुत कम सैलरी पाती हैं|
अगर कृषि की बात करें तो वहाँ पर वो मुख्य भूमिका निभाती हैं फिर भी आप औरतों को आमतौर पर किसान नहीं मानते| जीडीपी की बात करें तो जीडीपी में औरतों के उस योगदान को शामिल नहीं किया जाता जो वो मकान को घर बनाने में देती हैं|
हालाँकि इधर कुछ वर्षों से कुछ दशकों से महिलाएं हर क्षेत्र में अपना झंडा लहरा रही हैं चाहे वो जमीन हो चाहे आसमान हो चाहे वो पानी हो| चाहे वो उत्तरी ध्रुव हो चाहे वो दक्षिणी ध्रुव हो| आप किसी भी क्षेत्र की बात करें आपको महिलाएं वहाँ पर मिल जाएँगी|
सवाल है की हम उन्हें मौका कितना देते है ?
मौका मिलने पर औरतें सभी क्षेत्रों में अपना स्थान बना सकती हैं| तो अगर थोड़ा सा मौका और दिया जाए बराबरी का मौका दिया जाए तो क्या पुरुष वर्चस्व को चुनौती देने वाली बात है? नहीं !
ये समझना बेहद जरूरी है की यहाँ सवाल चुनौती का नहीं है यहाँ सवाल बराबरी का है| यहाँ सवाल किसी को नीचा दिखाने का नहीं ये सवाल है की आप अपने अधिकारों को मांग रही हैं| और महिलाओं को उनका अधिकार मिलना चाहिए|
महिला दिवस पर निबंध (International Women’s Day Essay in Hindi)
प्रस्तावना
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को महिलाओं के अधिकारों, समानता और उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से महिलाओं की उपलब्धियों को सराहा जाता है।
International Women’s Day History महिला दिवस का इतिहास
महिला दिवस का आरंभ 1908 में हुआ जब न्यूयॉर्क में महिलाओं ने काम के घंटे कम करने, वेतन वृद्धि और मताधिकार की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। 1910 में क्लारा जेटकिन ने एक अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा, जिसे 8 मार्च को मनाने का निर्णय लिया गया।
Importance ऑफ़ विमेंस डे | महिला दिवस का महत्व
महिला दिवस न केवल उत्सव का अवसर है, बल्कि यह महिलाओं के संघर्ष और समाज में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानने का अवसर भी है। इस दिन का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाना है।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 की थीम
हर साल महिला दिवस एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है। 2025 की थीम “Empower Women, Empower the World” हो सकती है, जो महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने पर केंद्रित होगी।
महिला दिवस पर प्रेरणादायक उद्धरण
“हर महिला में अद्भुत शक्ति होती है, बस उसे पहचानने की आवश्यकता है।”
“सशक्त नारी ही समृद्ध समाज का आधार है।”
“महिलाओं का सम्मान करना समाज के विकास का प्रतीक है।”
प्रेरणादायक महिला व्यक्तित्व
कल्पना चावला: पहली भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री जिन्होंने अंतरिक्ष में भारत का गौरव बढ़ाया।
मैरी कॉम: बॉक्सिंग में विश्व चैंपियनशिप जीतने वाली दिग्गज महिला खिलाड़ी।
लता मंगेशकर: जिनकी आवाज़ ने भारतीय संगीत जगत में अमिट छाप छोड़ी।
महिला सशक्तिकरण के उपाय
शिक्षा का अधिकार: महिलाओं को शिक्षा के माध्यम से अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए।
आर्थिक स्वतंत्रता: महिलाओं को स्वरोजगार, उद्यमिता और रोजगार में भागीदारी के अवसर मिलना चाहिए।
सुरक्षा: महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त कानूनों का पालन किया जाना चाहिए।
हमें ये समझना होगा की एक स्त्री सिर्फ एक स्त्री नहीं है वो स्त्री के साथ साथ एक मनुष्य है, संसार की आधी आबादी है | हर मुद्दा स्त्रियों से जुड़ा हुआ है | हर मुद्दे पर स्त्रियों का एक दृष्टिकोण है और रहेगा | हमें उनके दृष्टिकोण का सम्मान करना चाहिए|
महिला दिवस एक ऐसा अवसर है जब हम महिलाओं के योगदान का सम्मान करते हैं और उनके उज्जवल भविष्य के लिए संकल्प लेते हैं।
समाज के विकास में महिलाओं की भूमिका अहम है, इसलिए उन्हें समान अधिकार और अवसर देना हमारी जिम्मेदारी है।
आइए इस महिला दिवस पर हम सभी महिलाओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें और उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास करें।