Guru Sant Ravidas ke anmol vachan

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Guru Sant Ravidas ke anmol vachan

1- इंसान को सदैव अच्छे कर्म करते रहना चाहिये, उससे मिलने वाले फल की इच्छा नहीं करनी चाहिये| क्योंकि कर्म करना ही इंसान का धर्म है और उसकी फल प्राप्ति हमारा सौभाग्य|

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2- अपने भीतर कभी भी घमंड पैदा होने न दें| एक छोटी चींटी चीनी के दानों को चुन सकती है, लेकिन एक विशाल हाथी ऐसा नहीं कर सकता|
3- हृदय में जिसके दिन-रात श्रीराम बसते हैं| ऐसा भक्त उन्ही के समान है| उसके ऊपर न तो क्रोध का असर होता है, और न ही काम- भावना उसके ऊपर हावी हो सकती है|
4- प्रभु के समान कीमती हीरे को छोड़कर, दूसरी चीजों की उम्मीद करने वाले जरुर ही नर्क जायेगें| यानि भगवान की भक्ति को छोड़कर इधर-उधर भटकना व्यर्थ है|
5- किसी की पूजा इस वजह से नहीं करनी चाहिए क्योंकि वो किसी पूज्यनीय पद पर आसीन है| अगर उस मनुष्य में योग्य गुण नही है तो उसकी पूजा नही करनी चाहिए| इसका उल्टा अगर कोई मनुष्य ऊँचे पद पर नहीं बैठा है, किन्तु उसमे योग्य गुण मौजूद हैं, तो ऐसे मनुष्य की पूजा करनी चाहिए|
6- निर्मल मन वाले मनुष्य के भीतर भगवान वास करते हैं| जिस मनुष्य के मन में कोई द्वेष भाव नहीं है, किसी तरह का लालच नहीं है, किसी से कोई बैर नहीं है, तो उसका मन परमात्मा का मन्दिर, दीप तथा धूप है| ऐसे निर्मल विचारों वाले मन में, भगवान हमेशा निवास करते हैं|
7- कोई भी मनुष्य किसी जाति में जन्म के कारण बड़ा या छोटा नही होता है| किसी मनुष्य को छोटा या बड़ा उसके कर्म बनाते हैं| अतः हमें हमेशा अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिये| हमारे कर्म हमेशा ऊँचे होने चाहिये|
8- सभी कार्यों को, अगर हम एक साथ शुरू करते हैं,, तो हमें कभी उनमें कामयाबी नहीं मिलती है|
9- राम, हरी, कृष्ण, ईश्वर, राघव, करीम सभी एक ही परमात्मा के अलग–अलग नाम हैं| वेद, पुराण, कुरान आदि सभी ग्रन्थो में एक ही परमात्मा का गुणगान किया गया है| और सभी परमात्मा की भक्ति के लिये सदाचार की सीख देते हैं|
10- जिस तरह तेज़ वायु की वजह से समुद्र मे बड़ी-बड़ी लहरें उठती हैं और फिर समुद्र में ही समा जाती हैं| उनका कोई अलग अस्तित्व नहीं होता| इसी तरह ईश्वर के बिना मनुष्य का भी कोई अस्तित्व नही है|
11- भगवान की भक्ति बड़े भाग्य से हासिल होती है| अगर आपके भीतर तनिक सा भी अभिमान नहीं है, तो निश्चित ही आपका जीवन सफल है|
12- जीव को ये भ्रम है कि, ये जगत ही सत्य है| परन्तु जैसा वो समझ रहा है वैसा नही है| वास्तव में जगत असत्य है|
13- मोहमाया में फँसा प्राणी भटकता रहता है| इस माया का निर्माण करने वाले को मुक्तिदाता कहते हैं|


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