Ramayan Rachayita Maharishi Valmiki ke Suvichar

Ramayan Rachayita Maharishi Valmiki ke Suvichar

 1- दूसरे के धन का अपहरण,पर-औरत के साथ सन्सर्ग, सुहृदयों पर अधिक शंका– ये तीनों अवगुण विनाशकारी है|
2- किसी भी व्यक्ति की इच्छा-शक्ति, यदि उसके साथ हो, तो वो कोई भी कार्य बहुत सरलता से कर सकता है|

3- संकट और दुःख सदैव बताये बिना तथा बुलाये बिना ही आते हैं|
4- उत्साह, मन से हिम्मत न हारना और सामर्थ्य ये तीनो, कार्य की सिद्धि कराने वाले गुण हैं|
5- मोहवश अपने प्रियजनों से अत्यंत प्यार करने से भी, यश टिकता नहीं है|
6- नफरत का भाव किसी के लिए अपने मन में रखने से, आप स्वयं मैले हो जाते हैं|
7- आप कायर हैं या साहसी, गुणवान हैं या अवगुण से भरे हुए हैं,आपके चरित्र से ये दिख जाता है|
8- जिस तरह चूहा हर दिन थोड़ा थोड़ा खोदकर जमीन में अपना बिल बनाता है,उसी तरह काल प्राणियों के जीवन को पल-पल समाप्त करता जाता है|

9- इच्छा-शक्ति तथा दृढ़-संकल्प इंसान को रंक से राजा बना देती है|
10- किसी को बहुत प्यार मत करो तथा प्यार की सर्वथा कमी भी न होने दो, क्योंकि यह दोनों ही बड़े दोष हैं| इसलिए बीच की स्थिति पर ही नजर रखो|
11- मनचाही वस्तु को हासिल करने के बाद भी मन, ठीक वैसे ही कभी सन्तुष्ट नहीं होता,जैसे छिद्रयुक्त बर्तन को कितना भी पानी डालकर हम कभी भर नहीं सकते|
12- संतुष्टि नन्दन वन है और शान्ति कामधेनु है| इसी पर विचार करिए और शान्ति के लिए परिश्रम करिए “
13- अच्छे चरित्र के बिना मनुष्य महान नहीं बन सकता|
14- दोस्त बनाना आसान है, मित्रता का पालन मुश्किल है|चित्तों की अस्थिरता की वजह से तनिक सा मतभेद होने पर भी दोस्ती टूट जाती है|
15- पके हुए फलों को जैसे गिरने के सिवा कोई डर नहीं होता, वैसे जन्म लिए मनुष्य को मृत्यु के सिवा कोई डर नहीं होता|
16- औरत या आदमी के लिए क्षमा ही अलंकार है|
17- हमेशा सुख ही सुख दुर्लभ है|
18- अच्छे स्वभाव वाले मनुष्य अपने घर के स्वर्ण आभूषणोंऔर मित्र में कोई अंतर नही समझते हैं|

19- मदद करने वालों और सभी से मिलकर रहने वालों की हमेशा विजय होती है|
20- नीच की नम्रता बहुत ही कष्टदायक होती है|
21- धनुष, अंकुश, बिल्ली तथा सांप झुककर आक्रमण करते हैं|
22- पुरुषार्थ करे बगैर, तक़दीर का निर्माण नहीं हो सकता है|
23- क्रोध, मनुष्य के सभी सदगुणों को नष्ट कर देता है| इसलिए क्रोध को त्याग दीजिये|
24- दो भेद हैं माया के– विद्या और अविद्या|
25- संघर्ष से ही मानव महान बन सकता है| आगे बढ़ने के लिए संघर्ष आवश्यक है|
26- जो लोग बुरे मार्ग पर चलते हैं,कभी भी उन्हें वास्तविक ज्ञान हासिल नही होता है|
27- आपके भीतर अगर उत्साह होगा तो आप असंभव काम को भी सम्भव बना सकते हैं|
28- प्रण तोड़ने से पुण्य का नाश हो जाता है|

29- सभी पुण्यों तथा सदगुणों की जड़ सत्य है|
30- यदि आप किसी की सेवा के लिए अपनी ताकत लगाते हैं, तो वह ताकत अमर है|
31- सेवा करने से दुश्मन भी दोस्त बन जाता है|
32- जो मनुष्य बलवान तथा वीर होते है,वे जल विहीन बादलों की तरह सिर्फ गर्जना नहीं किया करते|
33- ईश्वर ने जो कुछ आपको दिया है, आपको चाहिये कि, उसके लिए ईश्वर के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करो|
34- स्त्री के लिए असल में उसका पति ही सम्पूर्ण आभूषण है| उससे अलग होकर वह कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो, सुशोभित नहीं होती है|
35- तुम्हें अहंकार, गर्व और कुटिलता का त्याग कर देना चाहिये| दूसरों द्वारा की जाने वाली आलोचना की कभी, तुम्हें चिंता नहीं करनी चाहिये “

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