एक साधारण ब्रोकर से कैसे बन गए देश के दूसरे सबसे धनवान व्यक्ति

 Big investor Radhakishan Damani Motivational Story in Hindi

बहुत लोगों ने तो अभी नाम भी नहीं सुना होगा या फिर सुना भी होगा क्योंकि राधाकिशन दमानी फ़ोर्ब्स की सूची में सबसे धनी भारतीयों में दूसरे स्थान पर आ चुके हैं| और हाँ ध्यान रखियेगा Big investor Radhakishan Damani की कामयाबी विरासत में मिली दौलत से नहीं बल्कि अपनी बुद्धि से अर्जित की हुई है|

Advertisement

अब आप सोचते होंगे की अगर इतने ज्यादा कामयाब व्यक्ति हैं दमानी तो उन्हें आपने टीवी पर इंटरव्यू देते हुए क्यूँ नहीं देखा| अखबारों में उनकी और उनके परिवार की बड़ी बड़ी फोटोज क्यों नहीं छपती| तो वो 127000 करोड़ से भी अधिक के मालिक राधा कृष्ण दमानी को छपास रोग नहीं है|

दोनों हाथ और दोनों पैर के बिना कैसे बन गए अंतर्राष्ट्रीय प्रेरणादायी वक्ता

इन्हें अपने संघर्ष की कहानी सुनाने का भी शौक नहीं है| हमेशा सफ़ेद शर्ट और सफ़ेद पैंट धारण करने वाले राधाकिशन दमानी को मिस्टर वाइट कहा जाता है शख्सियत से भी और बिज़नेस में भी|  यही खूबी है डी-मार्ट के मालिक राधाकिशन दमानी की| और यही वजह है की आज दुनिया इनके ऊपर विश्वास करती है|

मुंबई के अल्ट्रामाउंट रोड पर मुकेश अम्बानी के पड़ोस में दमानी रहते हैं| कोरोना महामारी के समय में भी इनका बिज़नेस रुका नहीं बल्कि बढ़ा है| साल 2020 में दमानी के कम्पनी के शेयरों में तक़रीबन 18% की उछाल देखी गई थी| और उनकी दौलत में 5 % का इजाफा हुआ था|

लॉकडाउन में भी राधाकिशन किशन दमानी की कम्पनी मुनाफे में 

जब मुकेश अम्बानी के कुल संपत्ति 32% कम हुई तो अपनी कम कीमतों के लिए जाने जाने वाले Avenue Supermarts Limited की सुपर मार्केट चेन डी मार्ट को लॉकडाउन में खाने पीने की चीजों की जबरदस्त बिक्री के कारण ताबड़तोड़ मुनाफा हुआ|

जबकि डी मार्ट के प्रतिस्पर्धियों को फायदा होने के बजाय भारी नुकसान हुआ| देश की दूसरी सबसे बड़ी रिटेल चैन Future Group जिसके लगभग 1300 स्टोर हैं| इसके शेयर 80% गिर गए थे|

Big Investor Radhakishan Damani की सफलता की यात्रा 

Big Investor Radhakishan Damani की सफलता की कहानी तो वैसे बहुत लम्बी है| लेकिन इनके जीवन में सफलता का सूत्र बस एक है – रुको, समझो और फिर कदम बढ़ाओ|

राधाकिशन के परिवार का सम्बन्ध मूल रूप से राजस्थान के बीकानेर से था| साल 1956 में जन्मे राधाकिशन दमानी का परिवार मुंबई के एक कमरे के फ्लैट में रहा करता था| इनके पिता शिवकिशन दमानी स्टॉक ब्रोकिंग का काम करते थे| इनके बड़े भाई का नाम गोपी किशन दमानी है|

बीकानेर के मारवाड़ी परिवार के दमानी को व्यापार का माहौल बचपन से मिला| एक कमरे के घर से देश के दूसरे सबसे धनी इंसान बनने तक के सफ़र में दमानी ने कोई शॉर्टकट रास्ता नहीं चुना| बल्कि समझकर, देखकर अवसर को पहचाने और फिर दांव खेला|

शेयर मार्केट में सबसे मंझे हुए खिलाड़ी Big investor Radhakishan Damani का लोहा मानते हैं| राधाकिशन दमानी एक भरोसेमंद भारतीय निवेशक हैं|

यूनिवर्सिटी ऑफ़ मुंबई से बीकॉम करते हुए दमानी को पहले ही साल कॉलेज भी छोड़ देना पड़ा| दमानी के बिज़नेस की शुरुवात बाल बियरिंग्स से हुई| उसमे घाटा होता रहा लेकिन दमानी अड़े रहे| हालाँकि मुंबई के दलाल स्ट्रीट पर इनके पिताजी शिव किशन दमानी पहले से ही काम करते थे|

अपने एक अंकल के समझाने पर शेयर बाज़ार में उतरे  

लेकिन दमानी शेयर मार्केट के खेल में उतरने को तैयार नहीं थे| पिता के मरने के बाद बिज़नेस को झटका लगा तो दमानी के एक अंकल जिन्हें वो बहुत मानते थे| उन्होंने राधाकिशन दमानी को शेयर बाज़ार में उतरने को कहा|

Big investor Radhakishan Damani के मना करने पर उनके अंकल ने पूछा की बाल बियरिंग्स के काम में सबसे सफल इंसान कौन है? दमानी ने जवाब दिया|

अंकल ने फिर पूछा – बाल बियरिंग्स के बिज़नेस के इस टाइकून की कुल कितनी दौलत है? राधाकिशन दमानी ने ये भी बताया तो अंकल का दूसरा प्रश्न था की दलाल स्ट्रीट की सबसे बड़े इंसान के पास कितनी दौलत है ? दमानी को अपने काम की बात पता चल गई, उन्हें समझ आ गया की उन्हें कहाँ जाना है|

तालाब से निकलकर समंदर में जाने का रास्ता दमानी को समझ आ चुका था| दलाल स्ट्रीट पर दमानी ने बोलने से ज्यादा सुनने पर ध्यान दिया| ब्रोकर बने दमानी समझकर और परखकर खेलते थे और उनके दांव भी ठीक बैठते|

जल्द ही दमानी को एहसास हो गया शेयर बाज़ार के खेल में उन्हें ब्रोकर के बजाय इन्वेस्टर बनना होगा|ताकि अपनी समझ का फायदा वो स्वयं ले सकें|

शेयर मार्केट में चंद्रकांत संपत को अपना गुरु मानने वाले Big investor Radhakishan Damani ने उन्ही के तरीकों को इस्तेमाल करना शुरू कर दिया| और लम्बी अवधि के लिए निवेश करना शुरू कर दिया|

साल 1990 तक Big investor Radhakishan Damani ने बनाये करोड़ो रुपये 

साल 1990 के दौर में जब बाज़ार पर हर्षद मेहता का नाम छाया हुआ था तब बैंकों का फण्ड प्रयोग करके हर्षद मेहता ने कई बैंकों की ताबड़तोड़ खरीददारी शुरू की| शार्ट सेलिंग के फ़ॉर्मूले के आधार पर पहले वो कंपनियों के शेयरों के दाम को बढ़ाता और फिर बढ़े हुए दाम पर उन शेयरों को बेच देता| शेयर बाज़ार इस कारण बुरी तरह से लुढ़क जाता|

अपोलो टायरों के शेयर में जब इस प्रकार तेज़ी आई तो दमानी चौंक गए उन्हें लगा की इस टायर कम्पनी के शेयर सोने के भाव पर क्यों बिक रहें हैं| ACC जैसी कम्पनी के शेयर हर्षद मेहता ने कुछ ही महीनो में 200 रुपये से 9000 रुपये तक पहुँचा दिए थे|

साल 1990 आते आते तक Big investor Radhakishan Damani ने स्टॉक मार्केट से करोड़ो रुपये बना लिए थे| सन 1995 में राधा किशन जी ने HDFC बैंक के IPO में निवेश किया और इस आईपीओ से उन्होंने तगड़ा पैसा बनाया|

ये सब देखकर दमानी समझ गए थे की हर्षद मेहता जिन स्टॉक्स में हेर फेर कर रहा है, उनके फंडामेंटल स्टॉक्स के ऊँचे दामों को कायम नहीं रख सकता| ऐसे में शेयरों की कीमत का गिरना तय था| दमानी ने इस खेल को समझने की कोशिश की और शोर्ट सेलिंग के इस खेल में भी उतर गए|

साल 1992 में, हर्षद मेहता घोटाले के चर्चा में आने के बाद, उस वक़्त उन्होंने अपनी आय में शार्ट सेलिंग के फायदे के कारण बहुत ज्यादा बढ़ोत्तरी देखी|

हर्षद मेहता ने कराया लम्बा घाटा 

एक ओर हर्षद मेहता शेयरों को खरीद रहा था दूसरी ओर दमानी इसे बेच रहे थे| नुकसान में बढ़ोत्तरी हो रही थी| दमानी ने खुद अपने दोस्तों से कहा था की हर्षद मेहता एक सप्ताह तक इस गेम में और टिक जाता तो उनकी कमर टूट जाती|

टाइम्स ऑफ़ इंडिया के संवाददाता ने हर्षद मेहता के इस स्टॉक गेम की पोल खोल दी और दमानी को इसके बाद बेहतरीन मुनाफा हुआ| और अब दमानी को दलाल स्ट्रीट के सबसे मजबूत निवेशकों में गिना जाने लगा|

साल 2000 और 2001 में केतन पारेख ने एक बार फिर ऐसा ही किया तो दमानी ने उसके ख़रीदे हुए शेयरों में शार्ट सेलिंग करनी शुरू कर दी और उसमे भी जबरदस्त मुनाफा कमाया| इसके बाद इन्होने रिटेल के क्षेत्र में उतरने और अपनी खुद की कम्पनी खोलने के बारे में सोचा|

आगे चलकर वैल्यू इन्वेस्टिंग पर जोर देने लगे| इसके तहत जब कोई क्वालिटी शेयर कम दाम पर मिलता है तो ये पहले उसमे निवेश करते हैं और धैर्य के साथ दाम बृद्धि का इंतज़ार करते हैं|

आगे ये हुआ की दमानी जिस भी कम्पनी का शेयर खरीदते उनके पीछे बाकी इन्वेस्टर्स की कतार लगने लगी| HDFC बैंक पर दमानी ने सबसे पहले विश्वास किया था| साल 2020 में जब एस बैंक पर मुश्किलों की घटा छाई तो इन्होने इस बैंक में निवेश करने का निर्णय लिया और उसके बाद से एस बैंक के लिए बाज़ार का रुख सकारात्मक हो गया है|

साल 2002 में डी मार्ट का पहला स्टोर खोला 

साल 2000 में इन्होने अपनी रिटेल चेन कम्पनी डी मार्ट को स्थापित करने के लिए शेयर बाज़ार को अलविदा कर दिया था| और सन 2002 में डी मार्ट के पहले स्टोर को मुंबई के पवई में स्थापित किया गया| स्थापना के 15 साल बाद डी मार्ट को शेयर बाज़ार की सूची में शामिल कर दिया गया था|

भारत के शीर्ष निवेशक के रिटेल किंग बनने की कहानी भी इतनी ही अद्भुत है| डी मार्ट का व्यापार निरंतर बढ़ता जा रहा है, लाभ ऊपर के स्तर छूता जा रहा है| इस बिज़नेस को शुरू करने से पहले भी दमानी ने भरपूर रिसर्च करी|

डी-मार्ट की शुरुवात से पहले राधाकिशन दमानी ने नवी मुंबई के नेरुल में ‘अपना बाज़ार’ की फ्रैंचाइज़ी ली| और इस बिज़नेस की गहराईयों को सीखा|

ये वालमार्ट का बिज़नेस मॉडल समझने के लिए कई दफा अमेरिका गए| वालमार्ट के संस्थापक सैम वाल्टन के रिटेल सिद्धांत को समझा| ताकि हर दिन low price और हर दिन low cost के सिद्धांत को वो अपने बिज़नेस में लागू कर सकें|

Avenue supermarts limited के डी-मार्ट स्टोर्स के लिए इन्होने पोपुलर बिज़नेस स्टाइल का अनुकरण नहीं किया बल्कि पारंपरिक सेंस को अपनाया| इन्होने मुंबई के आउटर इलाके में जमीने ली जहाँ जमीन के दाम काफी सस्ते थे| और शहरों के फैलाव में इन स्थानों का रिहायशी इलाकों में तब्दील होना तय था|

डी मार्ट की विशेषताएं 

यानि मॉल में या अधिक भीड़ वाले इलाके में स्टोर खोलने के कांसेप्ट के बिलकुल विपरीत| तेज़ी से कई स्टोर्स खोलने के बजाय दमानी ने डी-मार्ट स्टोर्स की क्वालिटी बढ़ाने और कीमतों को कम करने पर ध्यान दिया|

डी मार्ट की सबसे बड़ी खूबी है की इनका कोई भी स्टोर भाड़े पर नहीं होता है| कम्पनी के हर स्टोर अपनी जमीन पर होते हैं| डी मार्ट रिटेल के व्यापार में आज अपना परचम लहरा रही है| कम्पनी उच्च गुणवत्ता और low price पर अधिक ध्यान देती है|

साल 2011 तक डी-मार्ट के केवल 25 स्टोर्स ही खुल सके थे और अब तक ये लगभग 238 स्थानों पर खुल चुके हैं| 11 राज्यों में ये स्टोर्स ग्राहकों की पहली पसंद बन चुके हैं|

रिलायंस स्टोर्स के मॉडल से ये बिलकुल उल्टा है| साल 2006 में रिलायंस ने रिटेल बिज़नेस में कदम रखा और अब उसके दस हज़ार से भी अधिक स्टोर्स खुल चुके हैं|

डीमार्ट के 36 डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर और सात पैकिंग सेंटर भी हैं| दमानी कुछ बड़े ब्रांड्स को छोड़कर अपने स्टोर्स में सिर्फ अपने ही ब्रांड का सामान रखना पसंद करते हैं| ताकि उसकी कीमतों को वो स्वयं कण्ट्रोल कर सकें|

अपने FMCG वेंडर्स को डी मार्ट अधिक से अधिक 11वें दिन तक भुगतान कर देता है| और बदले में उनसे भारी छूट प्राप्त करता है| डी-मार्ट के स्टोर्स फैंसी नहीं होते बल्कि ट्रेडिशनल हैं| स्टॉक क्लियर करने का टारगेट डी मार्ट में केवल 30 दिनों का होता है|

जबकि दूसरे स्टोर्स स्टॉक क्लेअरेंस टारगेट कम से कम दो महीने का रखते हैं| दमानी का ये विश्वासपात्र फार्मूला शेयर बाज़ार में अभी भी लोगों का पसंदीदा बना हुआ है|

साल 2017 में इनकी कम्पनी डी मार्ट शेयर बाज़ार में लिस्ट हुई 

जब 21 मार्च साल 2017 को दमानी की कम्पनी का आईपीओ शेयर बाज़ार में लिस्ट हुआ तो उनकी संपत्ति देश के कई अमीर घरानों से अधिक हो गई| डी मार्ट का शेयर 604.40 रुपये पर लिस्ट हुआ जबकि इशू प्राइस 299 रुपये रखी गई थी| ये पहले ही दिन 102 प्रतिशत का return दे चुका था|

पिछले 13 साल में लिस्टिंग के दिन किसी शेयर की कीमत में इतनी बृद्धि नहीं हुई थी| Avenue Supermart limited जब शेयर बाज़ार में शामिल हुई उस समय इस कम्पनी का वैल्यूएशन 40000 करोड़ के लगभग था| और तब से लेकर अब तक कम्पनी का मार्केट कैप दो लाख करोड़ से भी अधिक हो चुका है|

आज दमानी खुद का अरबों का कारोबार भले ही चलाते हों लेकिन वो आज भी निवेशक हैं| दमानी आज भी इन्वेस्ट करते हैं और अपना अच्छा खासा समय उसी में लगाते हैं| 

1001 करोड़ रुपये का घर ख़रीदा 

डी मार्ट के संस्थापक और मशहूर इन्वेस्टर राधाकिशन दमानी ने कुछ समय पहले देश का सबसे महंगा घर खरीद लिया था| मीडिया की एक रिपोट बताती है की इन्होने दक्षिणी मुंबई के मालाबार हिल्स में रुपये 1001 करोड़ रुपये का एक आलीशान बंगला ख़रीदा है|

इस घर को उन्होंने अपने भाई गोपीकिशन दमानी के साथ मिलकर ख़रीदा है| इनका ये घर डेढ़ एकड़ से भी ज्यादा भूमि पर फैला हुआ है|

निष्कर्ष : Big investor Radhakishan Damani

दमानी कहते हैं की उन्होंने इन्वेस्टमेंट से जीवन में काफी कुछ सीखा है| जब देश कोरोना से जूझ रहा था तब दमानी न सिर्फ अपना बिज़नेस बढ़ा रहे थे बल्कि इन्होने PM Care Fund में 100 करोड़ की राशि दान में भी दे डाली थी|

अगस्त 2021 में डीमार्ट रिटेल चेन के मालिक पूरी दुनिया के सौ सबसे अधिक धनवानों में शुमार हुए| ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक दमानी 19.2 बिलियन डॉलर के साथ विश्व के 100 सबसे अमीर लोगों की सूची में 98वें स्थान पर काबिज हुए|

एक कमरे के फ्लैट में रहने वाला एक मारवाड़ी व्यक्ति आज खरबों संपत्ति के मालिक बन गया|

मिस्टर राकेश झुनझुनवाला इनको अपना गुरु मानते आये हैं| दमानी को सुर्ख़ियों में रहना पसंद नहीं है| सूत्रों से पता चलता है की दमानी हर कुम्भ में गंगा नदी में स्नान जरूर करते हैं|

निवेशकों के लिए उनकी महत्वपूर्ण सलाह है की किसी भी शेयर में निवेश करने से पहले उस कम्पनी की वित्तीय मामलों की जाँच अवश्य कर लें| ये भी देख लें की कम्पनी कर्जदार तो नहीं है| कम समय के लिए शेयर बाज़ार में निवेश बुद्धिमानी नहीं है| हर क्षेत्र के अच्छे शेयरों पर रखें नजर|

राधाकिशन दमानी की ये प्रेरणादायक कहानी अपने दोस्तों रिश्तेदारों के बीच शेयर जरूर करें| ताकि इस कहानी से उनको भी प्रेरणा हासिल हो सके | अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं | आपके सुझाव हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं | आपका हर पल उर्जावान हो | धन्यवाद 

निराश हो तो इसे पढ़ो- ज़िओन क्लार्क का जबर्दस्त प्रेरणादायक जीवन

Best Books on Investing

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *