दिग्गज उद्योगपति सन फार्मा के संस्थापक का प्रेरणादायक जीवन परिचय

Dilip Shanghvi Biography Sun Pharma Owner Success Story

मंजिल पर वही पहुँचते है जिनके चाहतों में जान होती है| पंखों से मायने नहीं, उड़ान हौंसलों से होती है| Dilip Shanghvi Biography

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हमारे आज के आर्टिकल के हीरो हैं एक ऐसे इंसान जिन्होंने 10000 रुपये उधार लेकर अपने व्यापार को शुरू किया| अपनी बड़ी सोच और बुलंद हौसलों के बलबूते खड़ी कर डाली देश की नंबर एक कंपनी – सन फार्मा| 

आगे चलकर इनकी कम्पनी Sun Pharmaceuticals ने पूरी दुनिया की पांचवे नंबर की जेनेरिक दवाएं बनाने वाली कम्पनी का दर्जा भी हासिल कर लिया|

सन फार्मा के संस्थापक ने अपने जीवन में एक मन्त्र को बहुत तवज्जो दिया| वो मंत्र है की कभी भी आग के लग जाने पर कुआं खोदना शुरू नहीं करना चाहिए| आने वाला समय अनिश्चिततापूर्ण है इसलिए तूफ़ान का आना कभी भी हो सकता है और उसका सामना करने के लिए मनुष्य को सदैव तैयार रहना चाहिए| 

साल 2015 में एक वक़्त आया था जिसमे इन्होने भारत के सबसे अमीर आदमी होने का ओहदा भी प्राप्त कर लिया था| आज भी वो सबसे अमीर भारतीयों की सूची में 9वें स्थान पर काबिज हैं| Dilip Shanghvi Biography in Hindi

दिलीप संघवी का नाम टॉप 10 भारतीय उद्योगपतियों में शुमार हैं| इनके द्वारा स्थापित की गई दवा कम्पनी सन फार्मास्युटीकल्स आज विदेशों में भी अपने नाम का डंका बजा रही है| दिलीप स्वयं Sun Pharmaceuticals कम्पनी में मैनेजिंग डायरेक्टर यानि MD का पदभार संभाल रहे हैं|

इनके नेतृत्व में सन फार्मा लगातार नई नई उंचाईयों को छूती जा रही है| ये दिलीप संघवी की नेतृत्व क्षमता का ही जादू है की तक़रीबन 33-34 साल पहले शुरू हुई सन फार्मा हिंदुस्तान में दवा बनाने वाली कंपनियों में सबसे आगे पहुँच चुकी है|

कैसे हासिल किया उन्होंने इतनी बड़ी सफलता ? चलिए जानते हैं …

Dilip Shanghvi Biography दिलीप संघवी का जीवन परिचय

1 अक्टूबर साल 1955 गुजरात के छोटे से जिले अमरेली में दिलीप संघवी का जन्म हुआ| मध्यमवर्गीय परिवार में पैदा हुए दिलीप संघवी के पिताजी कलकत्ता में जेनेरिक दवाओं के थोक वितरक थे|

दिलीप संघवी पढ़ाई लिखाई में बचपन से ही बहुत होशियार थे| इनके दसवीं तक की पढ़ाई जे जे अजमेरा हाई स्कूल से पूरी हुई| और कोलकाता में स्थित भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज से इन्होने कॉमर्स में स्नातक की डिग्री हासिल की| इनके जीवन के शुरुवाती दिन कलकत्ता के बुर्राबज़ार में बीते हैं|

ग्रेजुएशन की पढ़ाई के समय से ही ये अपने पिता के काम में हाथ बटाने लगे थे| अपना ग्रेजुएशन पूरा कर लेने के बाद कुछ समय तक ये अपने पिता के साथ ही काम में लग गए थे| दवाईयों के काम में पिता की मदद करते समय ही इन्होने अपना लक्ष्य स्पष्ट कर लिया था की एक दिन दवाई कारोबार में देश में सर्वश्रेष्ठ बनकर रहेंगे |

औरआगे चलकर कुछ बहुत बड़ा करने के इरादे से साल 1982 में अपने पिताजी से 10000 रुपये कर्ज लिया| और इस उधार के पैसे से ये बम्बई पहुँच गए|

मुंबई पहुँचकर सिर्फ दो लोगों की मार्केटिंग टीम और पाँच मनोचिकत्सा की दवाईयों के साथ सन फार्मा की नींव रखी| पहले ही साल उनकी कम्पनी में सत्तर लाख की दवाईयों की बिक्री हो गई|

गुजरात के वापी में लगाई पहली मैन्युफैक्चरिंग यूनिट

इसके बाद इन्होने कुछ और रूपए कर्ज पर लिए| और गुजरात के वापी शहर में सिर्फ पांच कर्मचारियों के साथ सन फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्रीज के नाम से अपनी छोटी सी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित की| इनकी कम्पनी में बनाई गई दवाईयों की सप्लाई शुरू में कुछ ही शहरों तक हो पा रही थी|

शुरुवाती दौर में इनकी कम्पनी में सिर्फ 5 प्रकार की दवाओं को ही मैन्युफैक्चर किया जाता था| और जब ग्राहकों की संख्या बढ़ने लगी तब धीरे धीरे इनकी कम्पनी में उत्पादों की संख्या में भी इजाफा हुआ|

ये नक़ल करने के तरीके से बाहर थे और हमेशा इन्होने अपने तरीके पर ध्यान दिया| और कंपनियां किस तरह की दवाईयां बना रहीं हैं इससे इनको मतलब नहीं था| इन्होने जटिल और लम्बे चलने वाले रोगों के लिए दवाईयां बनाना शुरू किया|

दिलीप सिंघवी और उनके कर्मचारियों ने लगातार कड़ी मेहनत किया| जिसके परिणामस्वरूप महज 4 सालों के अन्दर, सनफार्मा की दवाईयां पूरे भारत में बिकने लगीं|

ये वही वक़्त था जब भारतीय फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री में अधिकतर पेटेंट और ज्यादा मार्जिन वाली दवाईयों पर बहुराष्ट्रीय कंपनिया या फिर Ranbaxy और Cipla का एकाधिकार था|

Ranbaxy और Cipla से थी प्रतिस्पर्धा 

दिलीप संघवी के लिए ये सारे काम आसान नहीं थे| भारतीय बाजारों में पहले से मौजूद दिग्गज दवा कंपनियां जैसे ranbaxy और सिपला के सामने खड़ा होना बेहद ही मुश्किल काम था| पर दिलीप संघवी के अडिग इरादे और स्पष्ट लक्ष्य के सामने ये सारी चीजें बौनी ही साबित हुईं |

और इस समय दिलीप संघवी कम कॉम्पीटिशन और बिना पेटेंट वाली दवाओं के पोर्टफोलियो में धीरे धीरे वृद्धि कर रहे थे | ये दवाईयां ऐसी थी जो इनके प्रतियोगियों की प्राथमिकता से बाहर थी|  इन्होने ब्रांड, मूल्य की नीतियों, सेल्स और डिस्ट्रीब्यूशन चैनल पर अधिक ध्यान दिया| इनकी बेहतरीन नीतियों के कारण सन फार्मास्यूटिकल ने चंद वर्षों में कामयाबी के नए किस्से गढ़ दिए|

साल 1989 से दिलीप संघवी ने आस पास के देशों में भी अपनी दवाईयों के निर्यात की शुरुआत कर दी थी| और ये काम उनकी प्रगति में मील का पत्थर साबित हुआ|

साल 1991 में इन्होने अपनी कम्पनी के लिए एक रिसर्च सेंटर की स्थापना की| साल 1994 में दिलीप संघवी ने अपनी कम्पनी सन फार्मा का आईपीओ भी निकाल दिया |

अपने शुरुवाती दिनों के उतार चढ़ाव से ही दिलीप संघवी को ये समझ आ गया था की व्यापार करने में खतरा भी है | लेकिन हमेशा से इनका मानना था की रिस्क इतना calculated हो की उससे कम्पनी को नुकसान न पहुँचे |

दिलीप संघवी ने घाटे में चल रही कई कंपनियों को ख़रीदा 

घाटे में चल रही कंपनियों को खरीद लेना, दिलीप संघवी की कामयाबी में एक अहम् योगदान रहा है| साल 1987  से लेकर आज तक इन्होने कई घरेलू और विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण कर डाला है| इनमे 19 से भी अधिक कंपनियां शुमार हैं|

इन्होने सभी घाटे में चल रही कंपनियों में सुधार करके मुनाफा देने वाली कंपनियों में बदल दिया| आज भी इनकी आमदनी का एक बड़ा भाग इन्ही अधिग्रहण वाली कंपनियों की देन है|

साल 1987 में इस दवा कारोबारी ने नुकसान में चल रही अमेरिकन कम्पनी कैरको फार्मा का अधिग्रहण पाँच करोड़ डॉलर में कर डाला| ये डील इनकी अब तक की सबसे बड़ी डील थी|

इसी के बाद दिलीप संघवी ने दो और अमेरिकन फार्मा कंपनियों वैलियेंट फार्मा और एबल फार्मा को भी अधिग्रहित कर लिया| इसके बाद इन्होने इजराइल की एक दवा निर्माता कम्पनी टैरो फार्म को 45 करोड़ डॉलर में खरीद लिया| आज टैरो फार्म को खरीदना दिलीप संघवी का सबसे अच्छा निवेश साबित हो चुका है|

सन फार्मा का पचास प्रतिशत revenue आज इसी कम्पनी से आ रहा है |

बीते कुछ सालों इन्होने कुछ ऐसी कंपनियों का अधिग्रहण किया जिनके अधिग्रहण से ये फार्म सेक्टर के बुलंदियों पर पहुँच गए | जिनमे मुख्य रूप से TaroPharma और वर्ष 2014 में 25237 करोड़ रुपये में Ranbaxy के अधिग्रहण ने इन्हें भारतीय फार्मा सेक्टर का शहंशाह बना दिया |

सन फार्मा का कारोबार कई देशों में 

आज सन फार्मा का बिक्री नेटवर्क करीबन 24 से भी ज्यादा देशों में फ़ैल चुका है| इनकी कम्पनी आज जेनेरिक दवाई बनाने वाली हिंदुस्तान की नंबर वन और विश्व की पांचवी कम्पनी बन चुकी है|

कम्पनी के विस्तार का अंदाजा आपको इसी बात से लग जाएगा की अगर साल 1994 में किसी इंसान ने उनकी कम्पनी के मात्र 10000 रुपये के शेयर ख़रीदे थे तो आज उनका मूल्य पचास लाख हो चुका है | जिसमे डिविडेंड को शामिल नहीं किया गया है |

फार्मा सेक्टर में दूसरे स्थान पर काबिज कम्पनी Dr Reddy जो वैल्यूएशन के मुताबिक सन फार्मा से तीन गुना पीछे है|

2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार इनकी कुल संपत्ति 1560 करोड़ USD को पार कर चुकी है| दिलीप संघवी देश के अग्रणी दवा बनाने वाली कम्पनी के मालिक बन चुके हैं | Dilip Shanghvi Biography

मशहूर उद्योगपति अब अपने परिवार के साथ मुंबई में रह रहें हैं| इनकी पत्नी का नाम विभा संघवी है और दोनों को संताने भी हैं| इनके एक पुत्र और एक पुत्री है | पुत्र का नाम आलोक संघवी और पुत्री का नाम विधि संघवी है |

दिलीप संघवी को मिले पुरस्कार

साल 2011 में इनको CNN की तरफ से – आई बी एन इंडियन ऑफ़ द इयर इन बिज़नेस का सम्मान मिल चुका है |

फ़ोर्ब्स पत्रिका ने वर्ष 2015 में इन्हें भारत का सबसे अमीर व्यक्ति भी घोषित कर चुकी है|

भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान ” पद्म श्री ” से इस महान व्यक्ति को अलंकृत भी किया गया है |
साल 2016 में इंडियन गवर्नमेंट ने इन्हें पद्म श्री के सम्मान से सम्मानित कर चुकी है |

निष्कर्ष : Dilip Shanghvi Biography

तो देखा भाईयों आपने की कैसे एक सामान्य वर्ग का लड़का सिर्फ 10000 रुपये से एक लाख करोड़ से भी ज्यादा का साम्राज्य खड़ा कर दिया | इनके पास मुकेश अम्बानी की तरह न तो कोई संपत्ति थी और न ही स्वयं के पास कोई खास पूँजी |

संसार में सफलतम इंसानों में एक विशेष धारणा होती है| ये लोग अपने लक्ष्य के प्रति कभी असमंजस में नहीं रहते | इन्ही लोगों की सूची में दिलीप संघवी का नाम भी शामिल है |

इनके पास विज्ञान की कोई डिग्री न होने के बावजूद भी इनका लक्ष्य था की एक रोज दवा के कारोबार में ये अपनी पहचान भारत में बना कर ही चैन लेंगे | जोकि आज हमसब के सामने हैं |

वो कहते हैं न की हर इंसान कामयाबी की बुलंदियों तक पहुँचना चाहता है| पर चंद लोग अपनी मेहनत के बलबूते ऐसा संभव कर पाते हैं| इस संसार में आये हर एक प्राणी को अपने हक़ और कामयाबी तक पहुँचने का संघर्ष स्वयं ही करना पड़ता है |

आप अपने लक्ष्य कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें ताकि आपका भी हर एक लक्ष्य जरूर पूरा हो सके | दिलीप संघवी की ये कहानी Dilip Shanghvi Biography आपको पसंद आई हो तो ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच इसे शेयर करिए अभी ताकि इनसे प्रेरणा लेकर दूसरे लोग में अपने सारे सपने को हासिल करने में लग जाएँ |

धन्यवाद सभी हमारे प्रिय पाठकों का, आप सभी की ऊपर ईश्वर का आशीर्वाद बना रहे ये हमारी दिली कामना है|

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