हुंडई के संस्थापक चंग जू यंग की अत्यंत प्रेरणादायक कहानी

Founder of Hyundai Chung Ju Yung inspirational story 

हुन्डई मारूती सुजूकी के बाद भारत में सबसे ज़्यादा कार बेचने वाली| Founder of Hyundai Chung Ju Yung inspirational story in Hindi इस कम्पनी को पता है किसने शुरू किया था|

इस साउथ कोरियन लड़के का नाम है चुं जू यंग| बचपन के दिनों में सिर्फ दो वक़्त की रोटी के वास्ते खेतों में सत्रह सत्रह घंटे काम किया| अमीर बनने का सपना लिए कई बार घर छोड़कर भागा|

कई बार इसके बिज़नेस बाढ़ आने, आग लगने और युद्ध की वजह से खत्म तक हो गए लेकिन फिर भी हार ना मानते हुए इसने दुनिया की सबसे बड़ी कार कंपनियों में से एक हुन्डई को बना डाला|

तो अगर आपको भी लगता है कि बुरा सिर्फ मेरे साथ ही क्यों होता है तो इस वीडियो को आपको पूरा देखना चाहिए क्योंकि ये आर्टिकल आपको एक नया नजरिया देने वाला है|

 Hyundai Founder Chung Ju Yung inspirational story in Hindi

साल 1915 में, एक गरीब कोरियन परिवार में चंग जू युंग के पैदा होने पर ये कहानी शुरू होती है| चुंग जू युंग के पिता एक किसान थे | जो अपने 7 बच्चों का पेट पालने के लिए पूरे दिन खेतों में काम किया करते थे|

यू तो चुंग जू युंग का सपना पढ़ लिखकर एक टीचर बनने का था लेकिन गरीबी इतनी थी कि कई बार तो भूखे पेट ही सोना पड़ता था ऐसे में अच्छी शिक्षा लेना उनके लिए एक शानदार सपने से ज़्यादा कुछ भी नहीं था|Founder of Hyundai Chung Ju Yung inspirational story in Hindi

बुरु आर्थिक स्थिति के चलते चुंग जू युंग अपने पिता के साथ दिन भर, खेतों में ही काम करते गुजार देते| इसके अलावा कभी वो जानवरों को चराने का काम करते तो कभी लकड़ियाँ काटकर उसे शहर बेचने लेकर जाते लेकिन जब वो सिटी लाइफ को देखते थे तब उन्हें बहुत हैरानी होती थी साफ़ सुथरे लोग बेहतरीन कपड़े और खाने की तो कोई कमी ही नहीं

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ये सब देखकर उनके मन में भी ख्याल आता था कि अगर वो भी शहर चले जायें तो एक अच्छी जिन्दगी गुजारने लगेंगे लेकिन समस्या ये थी कि अपने 16 साल के बच्चे को उनके माता पिता अकेले जाने ही नहीं देंगे| उसी दौरान चुंग जू युंग के हाथ एक समाचारपत्र लगा जिसमें खबर छपी थी कि पास के शहर में कंस्ट्रक्शन का प्रोजेक्ट चल रहा है और इसके लिए वरकर्स की जरूरत है|

Founder of Hyundai Chung Ju Yung inspirational story in Hindi

और जैसा कि उन्हें पता ही था कि उनके मम्मी पापा तो उन्हें जाने नहीं देंगे| इसलिए वो घर पर बिना किसी को बताए साल 1932 में घर छोड़कर भाग गए| इसके बाद से वो नोन Kowon शहर पहुँचे| जहाँ उन्हें कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट पर मजदूरी के लिए रख लिया गया अब यहाँ काम जितना मुश्किल था, मिलने वाले पैसे उतने ही कम|

इसके बावजूद चुंग जू युंग ये सोचकर संतुष्ट थे कि पहली बारक वो अपने दम पर कुछ कर रहें हैं| हालाँकि उनकी ये संतुष्टि ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रही क्योंकि घर छोड़ने के बाद से ही इनके माता पिता इन्हें पागलों की माफिक ढूंढ रहे थे|

और दो महीने बाद आख़िरकार चुंग जू युंग को उन्होंने ढूँढ ही लिया| उन्होंने चुंग जू युंग को फटकार लगाई, अपने बेटे को मनाया और जैसे तैसे घर लिवा लाये|

घर लौटने के बाद फिर से उन्ही कामों जैसे, खेतों में काम करना, जानवरों को चराना और लकड़ियाँ काटने जैसे पुराने कामों में लग गये लेकिन इस सब में उनका दिल बिलकुल भी नहीं लग रहा था| हर वक्त उनका मन कंस्ट्रक्शन साइट पर ही रहता था|

Founder of Hyundai Chung Ju Yung inspirational story in Hindi

वहाँ बिताये गए वो पलों को याद करते थे उन्हें धीरे धीरे कंस्ट्रक्शन जैसे कामों से लगाव होने लगा| चुंग जू युंग के घर वापसी से परिवार तो बहुत खुश था लेकिन चुंग को अपने पुराने रूटीन में घुटन महसूस हो रही थी | मानो जैसे शहर में उनका इंतज़ार हो रहा हो|

जिसके चलते वो और दो बार घर छोड़ कर भागे| लेकिन फिर से कुछ दिनों तक शहर में काम करने के बाद उनके पिता उन्हें ढूंढ लिया करते थे| और फिर न चाहते हुए भी चंग को घर वापस आना पड़ता था|

हालाँकि इसके बाद उन्होंने फिर से एक बार हिम्मत जुटायी और 18 साल की उम्र में, चौथी बार घर छोड़कर सियोल पहुँच गए जो फ़िलहाल साउथ कोरिया की राजधानी है|

यहाँ पहले तो इन्होने एक कंस्ट्रक्शन साईट पर एक मजदूर का काम किया लेकिन फिर समय बाद इन्हें एक फैक्ट्री में नौकरी मिल गई| जहाँ पर चुंग जू युंग एक असिस्टंट के तौर पर काम करने लगे|

इस तरह यहाँ काम करते करते उन्हें कुछ ही दिनों में उन्हें Bokheung Rice Store नाम की एक चावल की दुकान में अच्छी सैलरी पर डिलीवरी बॉय की नौकरी मिल गई और यहीं से उनके लाइफ में सकारात्मक परिवर्तन आना शुरू हुआ|

कर्मचारी से मालिक तक की यात्रा 

चुंग जू युंग अपने काम को खूब एंजॉय कर रहे थे| और अपनी पूरी लगन वा ईमानदारी के साथ अपनी ड्यूटी निभा रहे थे| जिसे देखकर स्टोर के मालिक उनसे खूब प्रभावित हुए और फिर सिर्फ 6 महिनों में ही उन्हें डिलीवरी बॉय से शॉप का मैनेजर बना दिया गया|

फिर आया साल 1937, जब शॉप के मालिक बहुत बीमार पड़ गए और उनमें इतनी भी ताकत नहीं बची थी कि, वो आगे के काम काज को संभाल सके ऐसे में उन्होंने अपना ये राइस स्टोर चंग जू यंग के हाथों में सौप दिया|

इस तरह से सिर्फ 22 साल के उमर में चुंग जू युंग अपनी मेहनत के दम उस राइस स्टोर के कर्मचारी से मालिक बन चुके थे|Founder of Hyundai Chung Ju Yung inspirational story in Hindi

चंग जू यंग ने अब इस स्टोर का नाम बदलकर Kyungil Rice Store कर दिया| यहाँ से उन्होंने low price हाई क्वालिटी और टाइमली डिलीवरी के बलबूत बहुत ही अच्छा अपना कस्टमर बेस तैयार कर लिया|

लेकिन जब सब कुछ बहुत अच्छे से चल रहा था| उसी वक़्त कुछ ऐसा हुआ जिसने उन्हें सब छोड़कर घर लौटने पर मजबूर कर दिया|

उस समय कोरिया पर जापान का कब्ज़ा था और जापान वर्ल्डवार-2 में कूद पड़ा था ऐसे में जापानी सरकार चाहती थी कि युद्ध के दरमियाँ उनके सैनिकों को समय समय उनकी जरुरत के हिसाब से उनको चावल मिलता रहे|

इसके लिए सरकार ने वहाँ की सभी चावल की दुकान को अपने अधिकार में ले लिया था | इन्ही दुकानों में चंग जू यंग की दुकान भी शामिल थी|

लोन लेकर Ado Service नाम का एक गैराज खोला

इसके बाद चंग जू यंग तक़रीबन एक साल तक अपने गाँव में रहे| लेकिन चंग जू यंग ने फिर से एक बार हिम्मत जुटायी और साल 1940 में 3000 वोन का लोन लेकर Ado Service नाम का एक गैराज खोला|

लेकिन बदकिस्मती से अभी एक महीना ही गुजरा था कि उसमें भयंकर आग लग गई और उनका ये बिजनस भी बरबाद हो गया अब चंग के सामने सबसे बड़ी समस्या थी लोन को चुकाना और ग्राहकों को जले हुये वाहनों का मुवाबजा देना|

काफी सोचने समझने के बाद उन्होंने वापस से 3500 वोन का लोन लिया और पहले से भी ज़्यादा बड़ा गैराज खोला| चंग बहुत ज़्यादा मेहनती थे, जिसके चलते इनका काम ग्राहकों को पसंद आने लगा|

और सिर्फ तीन सालों में इन्होने इतना लाभ कमाया कि इन्होने अपने सारे कर्ज ख़त्म कर दिए| और अपने घर वालों को मनाकर अपने साथ शहर लेकर आये |

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इस समय इनका कारोबार खूब बढ़िया चल रहा था और इनके कमर्चारियों की संख्या में 1 से बढ़कर 80 तक पहुँच गई थी| और इस बार भी इनका सुनहरा दौर ज्यादा दिनों तक नहीं चला|

इसीसमय जापान की सरकार ने युद्ध में इस्तेमाल होने वाले एक्विप्मेंट बनाने के लिए, चंग के गैराज को एक स्टिल प्लांट के साथ में मर्ज कर दिया| यानि कि एक बार फिर से चंग जू यंग वहीं आकर खड़े हो चुके थे जहाँ से उन्होंने शुरुवात की थी|

युद्ध के कारण लौटना पड़ा गाँव Founder of Hyundai Chung Ju Yung inspirational story in Hindi

एक तरफ तो गैराज छिन जाने का दुःख दूसरी तरफ सियोल में बढ़ते तनाव के कारण चंग जू यंग अपने परिवार के साथ गाँव वापस लौट आये|

इस बार अच्छी बात ये थी की चंग जू यंग के पास 50000 वोन की बचत थी| इसलिए इनके भीतर थोड़ी हिम्मत थी की ये फिर से अपना कारोबार शुरू कर सकते हैं- इंतज़ार था तो युद्ध ख़त्म होने का

साल 1946 में द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हुआ और कोरिया जापान के कबजे से आजाद हो गया| इसी साल चंग ने सियोल में वापसी की और एक बार फिर से अपना गैराज स्टार्ट किया जिसका नाम रखा गया हुंडई मोटर सर्विस|

जापान को विश्व युद्ध में हराने के बाद दक्षिण कोरिया में अमेरिका का प्रभाव काफी बढ़ गया था जिसकी वज़स से चंग जू यंग को अमेरिकन फ़ौज के ट्रक रिपेरिंग का काम मिल गया| कुछ वक़्त बाद उन्होंने नोटिस किया कि अमेरिका अपनी मिलिटरी फोर्सेस के लिए बड़ी संख्या में बिल्डिंग्स बना रहा है|

ये देखकर उनका कंस्ट्रक्शन को लेकर वो पुराना पैशन दोबारा से जग गया जिसका अनुभव उन्होंने कम उम्र में ही ले लिया था| और अब चंग जू यंग ने साल 1947 में Hyundai Civil Industries की शुरुवात कर दी|

और छोटे मोटे कंस्ट्रक्शन के काम को पूरा करने लगे| महज तीन सालों के भीतर इन्होने अपने इस काम को भी एडवांस लेवल तक पहुँचा दिया और अब इन्हें काफी बड़े बड़े प्रोजेक्ट भी मिलने लगे थे |Founder of Hyundai Chung Ju Yung inspirational story in Hindi

लेकिन चंग जू यंग का संघर्ष अभी ख़त्म नहीं हुआ था 

क्योंकि जून 1950 में नौर्थ कोरिया और साउथ कोरिया के बीच में युद्ध छिड़ गया| इस युद्ध में उत्तर कोरिया दक्षिण कोरिया पर भारी पड़ रहा था और उत्तर कोरिया की मिलिटरी फोर्सेस ने सियोल को कबजे में लेने के लिए दक्षिण कोरिया की घेरा बंदी शुरू कर दी थी|

इस समय वहाँ के लोगों में दहशत फैल गई और सब शहर छोड़कर भागने लगे इसमें चंग भी शामिल थे जो कि सारा कारोबार छोड़कर कुछ बचत के साथ जान बचाने के लिए बूसन शहर चले गए|

इस वार में अमरीकी मिलिटरी फोर्स ने दक्षिण कोरिया का भरपूर साथ दिया और युद्ध के दौरान ही चंग ने नोटिस किया कि मिलिटरी फोर्सेस को बड़ी संख्या में वेयरहाउस, आर्मी मुख्यालय और टेंट की जरूरत है| ऐसे में चंग को एक मौका दिखा और वो एक छोटा सा समूह बना कर इन प्रोजेक्ट्स में भी काम करने लगे|

चंग जू यंग ने हर छोटे-बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम किया, कई सारे प्रोजेक्ट्स में तो उन्हें नुकसान भी हुआ, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने समय पर काम पूरा करके अमेरिकी अधिकारियों का विश्वास जीत लिया|

अब 1952 में जंग तो खत्म हो गई, लेकिन उस वक्त तक अमेरिकन्स से चंग जू यंग की प्रोफेशनल रिलेशन्शिप काफी मजबूत हो चुकी थी, जिसके चलते उन्हें बाद में भी उनसे प्रोजेक्ट मिलते रहे|

इस युद्ध से दक्षिण कोरिया में काफी तबाही हो चुकी थी | इन्फ्रास्ट्रक्चर चरमरा चुके थे| जिसके बाद वहाँ की सरकार उसे फिर से बनाकर सही करना चाहती थी|

दक्षिण कोरिया के पुनर्निर्माण में हुन्डई सिविल इंडरस्ट्री का बहुत मेजर रोल

और दोस्तों दक्षिण कोरिया के पुनर्निर्माण में हुन्डई सिविल इंडरस्ट्री का बहुत मेजर रोल रहा और उन्हें कई सारे बड़े बड़े प्रोजेक्ट्स मिले, जिनमें कि कई सारे एक्सप्रस वेज कोरियन नुकलियर प्लांट और डैम शामिल थे|

इसके बाद साल 1960 में कोरियन सरकार ऐसी पालिसी लेकर आई जिसने Hyundai को कार रिपेयरिंग कम्पनी से कार मैन्युफैक्चरिंग कंपनी बनने में बहुत मदद की |

वास्तव में सरकार ने वहाँ की अर्थ व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए ये नियम बना दिया था कि कोई भी विदेशी आटोमोटिव कंपनी दक्षिण कोरिया में बिजनस कर सकती है जब वो किसी लोकल कंपनी के साथ में टाइ अप करें, इस रूल ने हुन्डई के लिए एक नया अवसर पैदा कर दिया और चंग ने इस मौके को न चूकते हुए 1967 में Hyundai Motor Company की शुरुवात कर दी|

इसके ठीक एक साल बाद यानि वर्ष 1968 में Hyundai ने फोर्ड के साथ साझेदारी कर ली और Ulsan में 6 महीने के भीतर एक बहुत ही बड़ा असेम्बली प्लान्ट बनाकर तैयार कर दिया| जोकि आज भी दुनिया का सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल प्लांट है |

75,000 highly skilled employees काम करते हैं

इस प्लान्ट की वार्षिक production capacity 1.6 million unit है और इसमें दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से आए 75,000 highly skilled employees काम किया करते हैं|

खैर फोर्ड के साथ joint venture में हुन्डई ने उसकी famous car Ford Cortina के तरच पर हुन्डई Cortina को launch किया लेकिन दोस्तों फोर्ड क्योंकि एक American company है जिसके Cortina भी वही के सड़को के लिए design की गई थी वही साउथ कोरिया की सड़कें युद्ध से होने वाले गड्ढों से अभी पूरी तरह से उबर नहीं पाई थी|Founder of Hyundai Chung Ju Yung inspirational story in Hindi

ऐसे में हुन्डई Cortina कंपनी के लिए बहुत बड़ी failure साबित हुई| कंपनी को इससे काफी घाटा हुआ और लोग refund की demand करने लगे लेकिन इससे पहले की चंग जू यंग इन सभी problems से निपट पाते|

1969 में एक ऐसी भयंकर बाढ़ जिसमें की उलसान का पूरा assembly plant ही डूब गया नई तैयार की गई cars में भी पानी भर गया| और कंपनी को बंद करने तक की स्थिति आ गई लेकिन दोस्तों चंग जू यंग ने अपनी जीवन में इतना failure देखा था कि अब मानो इन सब की उन्हें आदत सी हो गई थी|

उन्होंने फिर से plant को शुरू किया और हर तरह की problems पर काम करके दुबारा से हुंडई Cortina को market में उतारा जो की इस बार काफ़े successful हुई|

फोर्ड से करार ख़त्म Founder of Hyundai Chung Ju Yung inspirational story in Hindi

हालाँकि 1974 में एक और भी problem थी जो की चंग जू यंग का इंतज़ार कर रही थी| असल में हुंडई का अपने नाम से car को launch करना फोर्ड को बिलकुल भी पसंद नहीं आ रहा था क्योंकि दक्षिण कोरिया में फोर्ड को पहचान नहीं मिल पा रही थी|

इसके चलते दोनों कंपनियों की बीच conflict शुरू हो गया और 1974 में फोर्ड ने हुंडई के साथ contract को खत्म कर दिया|

अब अचानक से फोर्ड का जाना हुंडई के लिए मानो सब कुछ ख़त्म कर देने वाला था क्योंकि उस समय तक हुंडई के पास car manufacturing की technology थी ही नहीं और इसके लिए वो अभी तक फोर्ड पर ही निर्भर थे|Founder of Hyundai Chung Ju Yung inspirational story in Hindi

इस contract के खत्म हो जाने के बाद चंग जू यंग किसी नए partner की तलाश करने लगे|

जो कि उनके साथ कार manufacturing technology को भी share कर सके| इसके लिए उन्होंने उस समय के बड़े players Volkswagen और General Motors के साथ deal करने का proposal रखा लेकिन इन दोनों companies ने ही इसे ठुकरा दिया था|

और फिर इसके बाद से चंग जू यंग ने जापान की Mitsubishi Motors के साथ भी deal करने की try की और ये deal final भी हो गई जिसमे Mitsubishi Motors ने अपनी car manufacturing technology को Hyundai के साथ share करने का agreement accept कर लिया था|

Mitsubishi Motors ने Hyundai के साथ agreement accept कर लिया था

इसके बाद से Hyundai अपना पूरा focus खुद की car develop करने में लगाने लगा| जिसके लिए उसने British company Austin Morris के former managing director George Turnbull को hire किया|

और दोस्तों George Turnbull ने भी अपनी leadership में इस project के लिए 5 और भी engineers को hire किया जिसमे की car की जो body होती है उसकी design expert Catherine Barnett, car engineer John Simpson और Edward Chapman BRM यानि की British Racing Motors के former changes engineer John Crestwit और chief development engineer Peter Steller जैसे highly skilled professional शामिल थे|Founder of Hyundai Chung Ju Yung inspirational story in Hindi

अब दोस्तों उसी समय South Korean सरकार ने car manufacturing company से एक ऐसा vehicle बनाने के लिए कहा जो की पूरी तरह से made in Korea हो साथ ही ये इतना affordable हो कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग इसका इस्तमाल कर सके|

इसी को mind में रखते हुए company ने एक नया plant setup किया और Hyundai की engineers government की सारी बातों को ध्यान में रखकर car manufacturing करने लगे|

Finally 1975 में Hyundai ने अपनी पहली self-made car को launch किया जिसका नाम रखा गया था Pony ये affordable होने के साथ ही highly performance और बेहतरीन डिजाइन वाली car थी| Pony South Korea में इतनी सफल होई कि कुछी समय में इसने वहाँ की car market का 60% हिस्सा capture करके Hyundai को वहाँ की सबसे बड़ी car company बना दिया|

विदेशों में किया लांच Founder of Hyundai Chung Ju Yung inspirational story in Hindi

इस सफलता के बाद से चंग जू यंग ने 3 लाख car manufacturing करने का फैसला लिया|जिसके बाद से हर कोई इसे एक बेवकूफी बड़ा decision कहने लगा क्योंकि South Korea की total market demand सिर्फ 30,000 cars की थी|

ऐसे में 3 लाख cars का manufacture करने का तो कोई मतलब भी नहीं बनता था| लेकिन दोस्तों चंग जू यंग तो यहाँ पर कुछ बड़ा ही सोच रहे थे क्योंकि उन्होंने अपनी नई cars को South Korea से निकाल कर foreign market में भी launch कर दिया|

1982 में Hyundai British market में enter हुआ जहाँ अपने पहले ही साल में उसने 2,993 cars बेच दी फिर आगे चलकर 1984 में इसने Canadian market में Pony 2 को launch किया|जो कि अपनी affordability के चलते खुब famous हुई और company वहाँ भी अपनी strong presence develop करने में सफल हो गई|Founder of Hyundai Chung Ju Yung inspirational story in Hindi

हालाँकि Hyundai अब तक तो कई सारे देशों में अपनी पहचान बना चुका था लेकिन अभी तक अमेरिका जैसी major market में enter करना उसके लिए possible नहीं हो पाया था और दोस्तो इसका main reason था emission norms जिस पर Hyundai की car perfectly fit नहीं हो पा रही थी|

company ने American market में enter करने के लिए emission criteria के according एक नई car manufacture की| जिसका नाम Hyundai Excel रखा गया| उस दौरान Hyundai ने realize किया था कि अमेरिका के अंदर second hand car की market बहुत ही ज़्यादा बड़ी है|

American market के अंदर launch

ऐसे में company ने वहाँ इन ही customers को ही target किया| और 1986 में second hand car के ही price पर Hyundai Excel को 5 साल की warranty के साथ American market के अंदर launch कर दिया|

अपने इस strategy से company targeted customers को लुभाने में खूब कामयाब हुई और अपने पहले ही साल में इसने 1,70,000 cars बेच कर बाकी car companies को हैरानी में डाल दिया| लेकिन अगले साल इस आंकड़े में और भी ज़्यादा उच्छाल देखने को मिला| साल 1987 में hyundai की वहाँ पर 260000 कारें बिकी थीं |

और इसी वजह से एक्सेल इन दो सालों में अमेरिका की सबसे ज्यादा बिकने वाली कार बन गई थी|

अब Excel कार Hyundai को उसकी उपस्थिति को मजबूत करने और विश्व पटल पर एक मुख्य कार कम्पनी के रूप में पहचान बनाने में मदद किया|

लेकिन car की affordability और कुछ technical issues की वजह से कुछ समय बाद इसे एक cheap Korean brand कहा जाने लगा अब दोस्तो इस image से company को बाहर निकालने के लिए engineers ने खूब experiment किये|

कई सारे R&D centers खोले गए और काफी research के बाद 1990s के दौरान Hyundai Sonata और Hyundai Accent जैसे कई सारे future loaded car market में उतारी गई और दोस्तों ये सभी car बहुत ज़्यादा successful रही थीं |

साथ ही इससे worldwide company की reputation भी काफी ज़्यादा बढ़ गई|

निष्कर्ष : Founder of Hyundai Chung Ju Yung inspirational story in Hindi

अब दोस्तों अगर आज की बात करें तो Hyundai दुनिया के top 100 most valuable brands में शामिल है| ये Toyota और Volkswagen के बाद production के मामले में दुनिया की third largest car maker company है जिसका business 193 countries में फैला हुआ है|

फिलहाल ये इंडिया में दूसरी सबसे बड़ी car maker है जो की Mahindra और Tata जैसे स्वदेशी company को भारी टक कर देती है| तो दोस्तो इस तरह से चंग जू यंग की हार न मानने वाली जिद ने Hyundai को ना सर्फ दुनिया के top brands में शामिल कराया बलकि South Korea के development और economy में भी बहुत बड़ा contribution दिया|

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