Kya Sachmuch Bhagwan hote hain क्या सचमुच भगवान होते हैं ? Is there really God?
The God Equation एक बार ऐसा हुआ गौतम बुद्ध , सुबह सुबह , लोगों के एक बड़े समूह के बीच बैठे थे | एक आदमी आया और पेड़ की आड़ में खड़ा हो गया , वह आदमी बहुत बड़ा भक्त था वो भगवान् राम का भक्त था | राम भारत के प्रमुख देवताओं में से एक हैं , जैसा की आप जानते हैं , भारत में हमारे पास 33 करोड़ देवी देवता हैं , तो वो राम का बहुत बड़ा भक्त था |kya Sachmuch Bhagwan hote hain क्या सचमुच भगवान होते हैं ? Is there really God
आजकल ऐसा नहीं होता न हर कोई ऐसा होता है , लेकिन वो लोग जो इसे गंभीरता से लेते हैं , वो जिस भगवान् में विश्वास रखते हैं , उसके नाम के अलावा कुछ और बोलते ही नहीं | अगर वो आपको बुलाना चाहते हैं तो वो कहेंगे राम राम ! अगर जाने के लिए कहना हो तो राम –राम ! अगर उन्हें कुछ चाहिए तो राम-राम | राम के सिवा और कोई शब्द है ही नहीं | कपड़ों पर भी राम -राम छपा है , वो बोलते भी राम -राम हैं , वो भी जीते भी राम -राम हैं , वो अपनी पूरी जिंदगी भगवान् को समर्पित कर देते हैं |
आप स्मार्ट हैं , आप वैसे नहीं हैं , आप भगवान् को इन्सोरेन्स की तरह तरह रखते हैं , कहीं अगर कोई गड़बड़ हो जाए तो मैंने भी अपना प्रीमियम भरा हुआ है | जो कुछ आपको करना है , आप कर ही लेते हैं | भगवान् को आप इन्सोरेन्स की तरह तरह रखते हैं , आप स्मार्ट हैं |
लेकिन इस आदमी ने अपना पूरा जीवन भगवान में लगा दिया ,पूरी तरह से | उम्र बीत रही थी , थोड़ा सा संदेह पैदा हुआ , वो जानता था भगवान् हैं , लेकिन छोटा सा संदेह ! मान लो की भगवान् नहीं है तो मैं राम -राम जपकर अपना पूरा जीवन बर्बाद कर रहा हूँ | ये संदेह आपको तभी होगा , जब आप अपना पूरा जीवन लगा देते हैं | आप हफ्ते में सिर्फ 10 मिनट , भगवान में लगाते हैं , तो आपको ये संदेह कभी नहीं होगा | चलता है , दिक्कत क्या है ?
अगर आप अपना जीवन पूरी तरह से भगवान में लगाते हैं तो तीन दिन के अन्दर ही संदेह आपके अन्दर आने लगेगा , क्या मैं ये काम करके अपनी पूरी जिन्दगी बर्बाद कर रहा हूँ ? और दूसरे लोग भी हैं जो भगवान में यकीं नहीं रखते , उनके लिए भी सुबह सूरज उगता है , उनके लिए भी फूल खिलते हैं , उनकी भी जिंदगी चलती है तो थोड़ा सा संदेह !
क्या सचमुच भगवान होते हैं ?
वो जानता है की भगवान् हैं बस थोड़ा सा संदेह | अब वहां एक आत्मज्ञानी महापुरुष बैठे हुए हैं , वो बस पक्का करना चाहता है , लेकिन काफी लम्बे समय से एक जाना माना भक्त होने के कारण , क्योंकि वो सिर्फ मंदिर जाता ही नहीं था , उसने कई सारे मंदिर बनाये भी थे , तो ज़िन्दगी के इस पड़ाव पर अब ये कैसे पूछा जाये की भगवान है या नहीं , तो वह भक्त सुबह सुबह आया और दूर वहां पेड़ की आड़ में खड़ा हो गया और उसने ये सवाल पूछा की – क्या भगवान हैं?
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kya Sachmuch Bhagwan hote hain |
वहां शिष्यों की पूरी मण्डली बैठी थी , उनके मन में ये जद्दोजहद हमेशा चलती रहती थी की भगवान वास्तव में हैं या नहीं !क्या सचमुच भगवान होते हैं ? अब जाकर राहत मिली |
जब भी वो गौतम से ये सवाल पूछ्तें , गौतम मौन हो जाते थे और कुछ नहीं कहते थे |
पहली बार उन्होंने साफ साफ जवाब दिया भगवान नहीं हैं |
पूरी मण्डली में ख़ुशी की लहर फ़ैल गई , ये जद्दोजहद की भगवान है या नहीं , अब ख़त्म हो गई |अब , आत्मज्ञानी महापुरुष ने ये घोषित कर दिया है की , भगवान नहीं है | ये सन्देश पूरे शहर में फ़ैल गया | पूरे दिन जश्न मनाया गया |
क्योंकि , जरा इस आजादी की कल्पना कीजिये की भगवान न होने का मतलब है की कोई भी ऊपर बैठकर ये हिसाब नहीं लिख रहा , की आपने क्या किया ,क्या नहीं किया ताकि वो आपको सजा दे या नरक में जला सके या कुछ और सके | जिंदगी पूरी तरह से आपकी है … तो पूरे दिन जश्न मनाये गए | हर कोई ख़ुशी से झूम रहा था |
शाम को एक बार फिर , सभा बैठी थी | एक और आदमी आया , वो भी दूर पेड़ की आड़ में खड़ा था , ये आदमी चार वाक्य था | भारत में कुछ ऐसे आदमी हैं जो चार वाक्य के नाम से जाने जाते हैं , चार वाक्य पूरी तरह से मटेरियलिस्ट होते हैं , ये किसी और बात पर यकीन नहीं करते , अपनी आँखों देखी के अलावा |शायद यही इकलौती संस्कृति है , जो इसकी छूट देती है |
आप देखेंगे की बहुत से धर्म प्रचारक , भगवान का सन्देश फ़ैलाने के लिए गाँव गाँव जा रहे हैं , और भगवान के न होने के प्रचारक भी गाँव गाँव जा रहे हैं | लोगों से बहस करके ये साबित कर रहे हैं की भगवान नहीं हैं | शायद यही इकलौती संस्कृति है जो इसकी इजाजत देती है , बाकी जगहों पर तो वो मारे जायेंगे |
अगर आप चाहे तो आप भगवान का प्रचार कर सकते हैं , और अगर चाहे उनके न होने का प्रचार भी कर सकते हैं |ऐसा हजारो साल से चलता आ रहा है , लोगो गावों में जाते हैं और साबित करते हैं की भगवान नहीं हैं |
तो ये एक एक्सपर्ट चार वाक्य है , आपका विश्वास चाहे जितना भी पक्का क्यूँ न हो , अगर आपने 10 मिनट उससे बात कर ली तो वो साबित कर देगा की भगवान नहीं है | हजारों लोगों को यकीन दिला चुका है की भगवान नहीं है ! भगवान नहीं है !God does not exists
उम्र बीत रही है , थोड़ा सा संदेह आ गया है |
मान लो की भगवान है , जब मैं वहां ऊपर जाऊंगा तो क्या वो मुझे छोड़ देंगे , और ये सारे भक्तगण कहते हैं की उनके पास टॉर्चर करने के हर तरह के औजार हैं क्यूंकि मैं ये साबित करने में लगा था की उसका अस्तित्व God exists ही नहीं है तो शायद मुझे ज्यादा ही टॉर्चर करेंगे |
वो जानता है की भगवान नहीं हैं , उसने हजारों लोगो को साबित किया है की भगवान् नहीं हैं , बस थोड़ा सा संदेह है|
Is there really God?
अब एक आत्मज्ञानी महापुरुष मौजूद है , वो पक्का करना चाहता है | वो शाम को आकर गौतम के सामने खड़ा हो गया , और उसने भी वही सवाल पूछा – ‘ क्या भगवान है ?’ Is there really God ?
गौतम बुद्ध ने उस आदमी की तरफ देखा और कहा -‘हाँ ‘ God exists
मण्डली में एक बार फिर खलबली मच गई | सुबह उन्होंने कहा की ‘ भगवान नहीं हैं ‘ तो सभी खुश थे | शाम को वो कहते है – ‘ भगवान हैं ‘ , तो गौतम बुद्ध ये कौन सा खेल , खेल रहे हैं |
God meaning
देखिये अगर आप विश्वास करते हैं की भगवान हैं God exists या आप विश्वास करते हैं की भगवान नहीं हैं |दोनों एक ही बात है |
आप ऐसी चीज पर विश्वास कर रहे हैं जिसे आप नहीं जानते | मैं इस पर विश्वास कर रहा हूँ , तुम उस पर विश्वास कर रहे हो | कोई फ़र्क नहीं पड़ता आप किसी भी चीज पर विश्वास कर सकते हैं | कोई किसी भी चीज पर विश्वास कर सकता है ये जरूरी नहीं की इसका सच्चाई से कुछ लेना देना हो |
अगर आप ये स्वीकार करें की मैं नहीं जानता तो जानने की चाहत पैदा होगी , अगर चाहत पैदा होगी तो खोज शुरू होगी और अगर खोज शुरू होगी तो जानने की सम्भावना भी शुरू होगी |
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