Computer Ka Avishkar Kisne Kiya Tha

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Computer Ka Avishkar Kisne Kiya Tha?

कंप्यूटर का आविष्कार या कंप्यूटर को किसने खोजा था ? आगे हम इसी पर बात करेंगे …computer ka avishkar kisne kiya tha?

आज का युग कंप्यूटर का युग है| इस युग में कंप्यूटर आदमी की जरुरत बन चुका है| लिहाजा इस युग को अगर हम कंप्यूटर युग कहें तो किसी को कोई हैरानी नहीं होगी| कंप्यूटर का फुल फॉर्म – कॉमन ऑपरेटिंग मशीन परटीकुलरली यूज्ड फॉर टेक्निकल एंड एजुकेशन रिसर्च होता है| computer ka avishkar kisne kiya tha

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पूरी दुनिया में इसका प्रयोग काफी बड़े पैमाने पर होने लगा है| शिक्षा से लेकर मनोरंजन और यातायात से लेकर स्वास्थ्य तक लगभग सभी क्षेत्र में कंप्यूटर की उपयोगिता सिद्ध हो चुकी है|

बावजूद इसके, कंप्यूटर से जुड़े कुछ ऐसे पहलू भी हैं जिनसे अधिकतर लोग अनजान हैं| क्या है वो जरुरी पहलू आईये जानते हैं इस आर्टिकल के जरिये Computer Ka Avishkar Kisne Kiya Tha?

कंप्यूटर शब्द का इस्तेमाल इसके आविष्कार से पहले ही हो रहा था| पहले मैकेनिकल मशीनों को चलाने वाले इंसान को ही कंप्यूटर कहा जाता था| 

इंसानों को शुरू से ही गणितीय गणना करने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता था| जिसके कारण ही सबसे पहले इन जटिल गणनाओं को करने के लिए ‘अबेकस‘ नाम की डिवाइस की खोज हुई| इसके बाद साल 1642 में ब्लेज़ पास्कल नाम के साइंटिस्ट ने ” पास्कलाइन ” को बना दिया|

पास्कलाइन, अबेकस कहीं अधिक रफ़्तार से गणनाओं को करने में समर्थ कैलकुलेटर था|

चार्ल्स बैबेज ने की शुरुआत

Computer Ka Avishkar Kisne Kiya Tha? बात शुरू होती है 18वीं सदी से, जब पूरी दुनिया तकनीक के मामले में लगभग अनजान सी थी| लोग अपनी आँखों से जो देखते थे बस उस पर ही भरोसा कर पाते थे| तकनीक से लोगों का दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं था|

charles babbage inventor of computer machine

इसी दौरान लन्दन में जन्मे चार्ल्स बैबेज़ ने लोगों की धारणा को बदलने का काम किया| चार्ल्स बैबेज़ को बचपन से ही गणित विषय में बहुत रूचि हुआ करती थी| गणित में बेइंतहा रूचि और पास्कलाइन से प्रेरित होकर चार्ल्स बैबेज़ ने कंप्यूटर के आविष्कार का आधार रख दिया|

इन्होने ने ही सबसे पहले प्रोग्राम किये जा सकने वाले कंप्यूटर का डिजाईन बना दिया था|

चार्ल्स बैबेज़ ने 14 जून साल 1822 में कंप्यूटर को बना देने का दावा किया था| अगर कंप्यूटर के जनक की बात आती है तो चार्ल्स बैबेज़ का नाम ही लिया जाता है|

ये माना जाता है की चार्ल्स बैबेज़ मैकेनिकल कंप्यूटर मशीन बनाने में सफल रहे थे| लेकिन धनाभाव की वजह से उस मशीन को पूरी तरह से नहीं बना सके थे| शुरुवाती दौर में उन्होंने एक बहुत बड़ी साइज़ की मशीन का आविष्कार किया था|

चार्ल्स गणित के विद्यार्थी थे इसलिए उनका इस मशीन को बनाने का मकसद नंबरों की गणना करना था| और इसी वजह से उन्होंने इस मशीन का आविष्कार किया था | अपने द्वारा बनाई गई इस मशीन को चार्ल्स बैबेज़ ने ‘डिफरेंस इंजन’ नाम दिया था | हालाँकि ये मशीन गणना तो कर पा रही थी पर ये नहीं बताती थी की गणना सही है या नहीं | जोकि कंप्यूटर बता सकता है|

Computer Ka Avishkar Kisne Kiya Tha?

चार्ल्स बैबेज़ का डिफरेंस इंजन बना कंप्यूटर का आधार 

इसके बाद साल 1833 में चार्ल्स बैबेज़ ने ‘डिफरेंस इंजन’ में कुछ सुधार किया |

इस बार उन्होंने जो मशीन बनाई, उसको नाम दिया ‘ एनालिटिकल इंजन ‘| चार्ल्स बैबेज़ द्वारा बनाई गई ये मशीन ही आधुनिक computers की जन्मदाता बताई जाती है| इस ब्रिटिश वैज्ञानिक की सोच अपने समय से काफी आगे चल रही थी जिसकी वजह से इनको महत्व नहीं मिल सका| परिणामस्वरूप ये मशीन भी पूरी तरह से नहीं बन पाई |

इसलिए कई विशेषज्ञों का कंप्यूटर के आविष्कार को लेकर अलग अलग मत है |

खैर चार्ल्स अपनी मशीन की खोज से कंप्यूटर के निर्माण की नींव तो रख ही चुके थे| जिसके आधार पर आज आधुनिक कंप्यूटर हम सब के सामने मौजूद हैं|

कोनराड जूस ने इस काम को आगे बढ़ाया 

18वीं शताब्दी के दौरान, चार्ल्स बैबेज़ के कंप्यूटर आविष्कार के बाद, लोगों के भीतर इन तकनीक को जानने और उसको समझने की दिलचस्पी बढ़ने लगी| समय बढ़ने के साथ बहुत सी चीजें बदल रहीं थी लेकिन दुनिया के लोगों को अभी कंप्यूटर जैसी कोई मशीन बनने का कोई अनुमान नहीं था|

इसी बीच अमेरिकन नेवी ने इलेक्ट्रो मैकेनिकल कंप्यूटर को निजात किया| जिसका नाम रखा था- टारपीडो डाटा कंप्यूटर |

जबकि अलग अलग देशों के वैज्ञानिक नई नई मशीनों के निर्माण में लगे हुए थे| तकनीक के इस युग में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण दिन तब आया जब जर्मनी के वैज्ञानिक कोनराड जूस ने प्रोग्रामिंग कंप्यूटर का आविष्कार कर डाला| ये समय साल 1936 और 1938 के बीच का था|

कोनराड का आविष्कार इस वजह से भी काफी महत्वपूर्ण था क्योंकि उन्होंने ही पहले प्रोग्रामिंग कंप्यूटर का आविष्कार किया था| चार्ल्स बैबेज द्वारा बनाई गई काफी हद तक मनुष्य के दिमाग पर निर्भर थी| लेकिन कोनराड द्वारा बनाया गया कंप्यूटर, प्रोग्राम से चलता था |

कोनराड ने अपने द्वारा निर्मित इस कंप्यूटर को Z 1 नाम दिया था|

डिजिटल कंप्यूटर की क्रांति 

कोनराड जूस के आविष्कार के बाद यूरोपीय देशों में नई क्रांति ने दस्तक दे दिया था| समय बीतने के साथ कंप्यूटर की डिमांड बढ़ती जा रही थी| कंप्यूटर का निर्माण होने से अधिकांश लोग प्रभावित हो चुके थे| क्योंकि ये हजारो लोगों के काम को खुद अकेला ही करने में सक्षम था|

जिन कामों को पूरा करने में बहुत समय लगा करता था| वो सारे काम अब चुटकियों में होने लगे थे| ये कंप्यूटर लाखों करोड़ों रुपये का हिसाब अत्यंत कम समय में करने लगा था| यही कारण था की लोगों का ध्यान अब कंप्यूटर की ओर आकर्षित होने लगा था |

सबसे महत्वपूर्ण बात जो थी वो ये की उस समय के लोगों को लगता था की कोनराड जूस का प्रोग्रामिंग कंप्यूटर दुनिया का आखिरी आविष्कार है | शायद ही लोगों के अंदाजा था की आने वाले चंद दिनों में उन्हें इस आविष्कार से बढ़िया भी कोई आविष्कार देखने को मिल सकता है |

बहरहाल समय बढ़ने के साथ टेक्नोलॉजी के संसार में दिन प्रति दिन नए परिवर्तन देखने को मिलते रहे | प्रत्येक नया बदलाव मनुष्य को हैरान कर देता है | और उसको सोचने के लिए मजबूर करता है की विज्ञान का प्रभाव काफी रफ़्तार से दुनिया में बढ़ रहा है |

जे प्रेसपर एकर्ट ने डिजिटल कंप्यूटर का आविष्कार किया 

कोनराड जूस के प्रोग्रामिंग कंप्यूटर बनने के कुछ वर्षों बाद, लोग तकनीक की दुनिया में एक और आविष्कार के गवाह बने| जब जे प्रेसपर एकर्ट ने विश्व को पहले इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर की सौगात दीये कंप्यूटर पूरी तरह से डिजिटल था|

सबसे बड़ी बात तो ये रही की इसी कंप्यूटर के बाद से हर इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर डिजिटल रूप में बनने लगा| सालों से इस्तेमाल में आने वाली एनालॉग घड़ी के स्थान पर डिजिटल घड़ी मार्केट में आ चुकी थी|

ये सारी चीजें जे प्रेसपर एकर्ट के डिजिटल कंप्यूटर बनने के बाद ही अस्तित्व में आईं थीजे प्रेसपर एकर्ट ने डिजिटल कंप्यूटर को साल 1946 में बना दिया था| जे प्रेसपर एकर्ट ने John Mauchly के साथ मिलकर डिजिटल कंप्यूटर का आविष्कार किया था| जॉन मौचली ही पेन्सिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में एकर्ट को विज्ञान पढ़ाया करते थे|

ENIAC को सबसे पहले अमेरिकी सेना ने किया इस्तेमाल 

इन दोनों के द्वारा बनाये गए कंप्यूटर का साइज़, तक़रीबन दो मंजिला बिल्डिंग जितना बड़ा था| जिसका वजन लगभग 30 टन था| इस कंप्यूटर में 18000 वैकुम ट्यूब का इस्तेमाल किया गया था| इसी वैकुम ट्यूब के प्रयोग से कंप्यूटर की दुनिया में क्रांति आ चुकी थी|वैकुम ट्यूब के इस्तेमाल से कंप्यूटर की प्रोसेसिंग पॉवर बेहतर हो रही थी| इसको ऑपरेट करने के लिए लगभग 150 kw बिजली खर्च होती थी|

इस कंप्यूटर का निर्माण अमेरिकन डिफेन्स डिपार्टमेंट के लिए किया गया था| दूसरे वर्ल्ड वार के दौरान अमेरिकन फौज को एक ऐसे कंप्यूटर की जरुरत थी जिससे उनका काम सरल हो सके| ये कंप्यूटर अब तक आकार में सबसे बड़ा कंप्यूटर था| इसकी प्रोसेसिंग क्षमता, पहले बनाये गए सभी कंप्यूटरों में सबसे तेज़ थी|

दोनों ने डिजिटल कंप्यूटर के आविष्कार के बाद इसका पेटेंट कराया और सरकार से डिजिटल कंप्यूटर के निर्माण का अनुबंध भी कर लिया|

इसके तहत दोनों ने मिलकर डिजिटल कंप्यूटर बनाना शुरू किया| दोनों ने अपने इस कंप्यूटर को ENIAC नाम दिया| जिसका मतलब था इलेक्ट्रॉनिक नुमेरिकल इंटीग्रेटर एंड कंप्यूटर था |

इस ENIAC डिजिटल कंप्यूटर ने पूरे विश्व में तहलका मचा दिया| इस तरह जे प्रेसपर एकर्ट ने John Mauchly के आविष्कार के बाद कंप्यूटर को एक नई पहचान मिली |

आगे चलकर डिजिटल कंप्यूटर की उपयोगिता को देखते हुए, अमेरिकन फ़ौज ने गणना करने के लिए इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था |

Computer Ka Avishkar Kisne Kiya Tha?

सबसे पहला कमर्शियल कंप्यूटर – UNIVAC

साल 1951 में जे प्रेसपर एकर्ट ने John Mauchly ने सबसे पहला कमर्शियल कंप्यूटर बनाया | जिसको नाम दिया गया – UNIVAC. ये कंप्यूटर विश्व का पहला ऐसा कंप्यूटर था जिसे साधारण और व्यापारिक इस्तेमाल के लिए बनाया गया था |

इसके पहले जिस भी कंप्यूटरों को निर्मित किया गया था, उनका प्रयोग रक्षा और सरकारी कामो में ही होता था | इस कंप्यूटर में 5000 निर्वात ट्यूब का इस्तेमाल किया गया था |

IBM ने बनाया First Generation सबसे बड़े साइज़ का कंप्यूटर 

साल 1956 में विश्व की सबसे बड़ी कंप्यूटर कम्पनी आई बी एम (IBM) ने अमेरिकन डिफेन्स सिस्टम की सहायता से दुनिया का सबसे बड़ा कंप्यूटर बनाया| इस कंप्यूटर का निर्माण भी अमेरिकी सेना के लिए किया गया था| इस कंप्यूटर का नाम SAGE computer System रखा गया|

इस कंप्यूटर को बनाने में 60000 वैक्यूम ट्यूम का प्रयोग किया गया था| ये एक सुपर कंप्यूटर था| इस कंप्यूटर ने दुनिया में अमरीकी डिफेन्स की शक्ति को कई गुना बढ़ा दिया| अभी तक जितने भी कंप्यूटर बने थे जिसमे वैक्यूम ट्यूब लगे थे ये सारे पहली पीढ़ी के कंप्यूटर माने जाते हैं|

साल 1958 तक कंप्यूटर की पहली जनरेशन का समय माना जाता है|

कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी की शुरुवात 

इसके बाद साल 1959 से कंप्यूटर के दूसरे जनरेशन की शुरुवात हुई| जब ट्रांजिस्टर का आविष्कार हुआ| वैक्यूम ट्यूम के साथ काफी दिक्कतें भी आ रहीं थी| वैक्यूम ट्यूब आकार में बहुत बड़ी होने कारण, कंप्यूटर भी बहुत बड़े बड़े बन रहे थे| सबसे बड़ी बात ये वैक्यूम ट्यूम गर्म भी बहुत जल्दी हो जाया करती थी| इसलिए इसको ठंडा रख्नने के कूलिंग सिस्टम का भी इस्तेमाल किया जाता था|

ट्रांजिस्टर की खोज के बाद, ये ट्रांजिस्टर अकेला ही उन हजारों वैक्यूम ट्यूब का काम करने लगा| और अब वैक्यूम ट्यूब के स्थान पर ट्रांजिस्टर का प्रयोग होने लगा था| जिसकी वजह से अब कंप्यूटर प्रोसेसिंग पॉवर और भी कई गुना बढ़ गई| ट्रांजिस्टर के इस्तेमाल से सबसे बड़ा जो लाभ हुआ वो था की कंप्यूटर का साइज़ भी काफी छोटा हो गया था|

कंप्यूटर की दूसरी जनरेशन साल 1959 से 1964 तक चला|

3rd Generation कंप्यूटर की शुरुवात 

साल 1965 में कंप्यूटर की तीसरी जनरेशन की शुरुवात हुई, जब IC ( इंटीग्रेटेड सर्किट ) की खोज हो गई| एक IC हजारो ट्रांजिस्टर से मिलकर बनी होती है| इसका मतलब हजारो ट्रांजिस्टर का काम अब एक IC करने में सक्षम थी| IC के आ जाने से कंप्यूटर का साइज़ और भी छोटा हो गया| और प्रोसेसिंग पॉवर और भी हजारों गुना तक बढ़ गई|

कंप्यूटर की तीसरी जनरेशन साल 1965 से साल 1974 तक चली|

चौथी पीढ़ी कंप्यूटर का काल 

साल 1975 में कंप्यूटर की चौथी जनरेशन की शुरुवात हो गई, जब प्रोसेसर का आविष्कार हुआ| एक प्रोसेसर के भीतर लाखों IC होने लगे| जिस काम को करने में हजारों IC लगते थे अब उसे अकेला प्रोसेसर करने लगा| प्रोसेसर के आविष्कार से कंप्यूटर का साइज़ बहुत ही छोटा हो गया और प्रोसेसिंग पॉवर बहुत ही ज्यादा पावरफुल हो गई|

पर्सनल कंप्यूटर यानि कंप्यूटर की पांचवी पीढ़ी का समय

इसी प्रोसेसर के आने के बाद से पर्सनल कंप्यूटर बनाये जाने लगे| जिसके बाद से कंपनियों, ऑफिसों और घरों में भी कंप्यूटर का प्रयोग होने लगा| कंप्यूटर का फोर्थ जनरेशन सन 1975 से सन 1989 तक रहा|

साल 1990 में कंप्यूटर की पांचवी पीढ़ी की शुरुवात हो गई, जब माइक्रो प्रोसेसर आया| एक माइक्रो प्रोसेसर अकेले करोड़ो IC के बराबर काम करता है| इसके आने से साइज़ और छोटा हो गया और प्रोसेसिंग स्पीड काफी ज्यादा बढ़ गई|

आज हम जो भी कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्ट फ़ोन, स्मार्ट वाच का इस्तेमाल करते हैं इन सभी गैजेट में माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग हो रहा है| माइक्रो प्रोसेसर के आने के बाद से रोबोट भी बनने लगे| भविष्य के लिए माइक्रो प्रोसेसर को और भी छोटा करने का प्रयास जारी है| इसे क्वांटम प्रोसेसर में बदलने की तैयारी चल रही है|

कंप्यूटर का पांचवा जनरेशन सन 1990 से अब तक चल रहा है|

Computer Ka Avishkar Kisne Kiya Tha?

ECC बनी सबसे पहले कंप्यूटर कम्पनी 

विश्व के लोगों ने जिस मशीन के बारे में कभी नहीं सोचा था, वो मशीन एकर्ट और मौचली ने कुछ सालों की मेहनत से बनाकर तैयार कर दी थी |

संयुक्त रूप से बनाया गया कंप्यूटर उनकी सबसे बड़ी ताकत बन चुका था |

कंप्यूटर के आविष्कार के बाद सबसे बड़ा चैलेंज था इसको अधिक संख्या में बनाने का | इसके लिए सबसे मुश्किल काम था की पूरा formula किसी कम्पनी को दिया जाए और फिर उसी फोर्मुले के तहत कई कंप्यूटर तैयार किये जाएँ |

दोनों ने ये करना ठीक नहीं लगा | इसलिए दोनों ने संयुक्त रूप से अपनी ही कंप्यूटर कम्पनी खोलने का मन बना लिया | दोनों ने कंप्यूटर बनाने की कम्पनी खोल दी और कंप्यूटर बनाना शुरू कर दिया | इस कम्पनी को नाम दिया गया ECC |

ECC यानि इलेक्ट्रॉनिक कण्ट्रोल कंपनी| ये दुनिया की पहली कंप्यूटर कम्पनी बनी हालाँकि दोनों ने बाद में इस कम्पनी का नाम बदलकर अपने नाम पर रख लिया |

कम्पनी खुलने के बाद दुनिया के कंप्यूटर जगत में क्रांति आ गई| अब तक साल 1950 आ चुका था जब दुनिया में साधारण लोग भी कंप्यूटर के नाम से परिचित हो रहे थे |

वक़्त बीतने के साथ एकर्ट कंप्यूटर को और विकसित करने के लिए नए नए आविष्कार करते रहे| डिजिटल कंप्यूटर के आविष्कार के बाद उन्होंने कंप्यूटर की दुनिया 85 आविष्कार किये| जिनको उन्होंने अपने नाम से पेटेंट करवाया |

विज्ञान के क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान को देखते हुए साल 1968 में उन्हें नेशनल अवार्ड ऑफ़ साइंस के सम्मान से सुशोभित किया गया |

निष्कर्ष – computer ka avishkar kisne kiya tha?

आज कंप्यूटर की डिमांड बहुत बढ़ चुकी है | ये हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है|

बहरहाल जिस रफ़्तार से युग का कंप्यूटरी करण हो रहा है उसे देखते हुए ये कहा जा सकता है की बहुत ही जल्द शायद ही कोई घर होगा जहाँ कंप्यूटर न हो |

आशा है आपको ये जानकारी जरूर पसंद आई होगी| कंप्यूटर के बारे में अगर आपके पास कोई जानकारी है तो कमेंट में जरूर बताएं| और इसे अधिक से अधिक लोगों के बीच पहुँचाने का काम करें|

धन्यवान आपका हर दिन हर पल बेहतरीन हो| यही हमारी दुआ है|

प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्नोत्तर 

1 – सबसे पहला प्रोग्रामिंग कंप्यूटर का आविष्कार कौन किया था?

कोनराड जूस ने पहले प्रोग्रामिंग कंप्यूटर को बनाया था|

2- किस देश में हुआ था कंप्यूटर का आविष्कार?

लन्दन शहर में कंप्यूटर का आविष्कार हुआ था |

3 –  सबसे पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर का आविष्कार कौन किया था ?

इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर की खोज में दो व्यक्ति सम्मिलित थे | जिनका  नाम  J. Presper Eckert और John Mauchly था |

4- कंप्यूटर का फुल नेम क्या होता है?

कंप्यूटर का फुल नेम- कॉमन ऑपरेटिंग मशीन परटीकुलरली यूज्ड फॉर टेक्निकल एंड एजुकेशन रिसर्च होता है|

5- कंप्यूटर का पिता किसे माना जाता है |

चार्ल्स बैबेज़ को ही आधुनिक कंप्यूटर का पिता ( जनक ) कहा जाता है |

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