Inspirational Real Life Indian Startup Story with moral

Inspirational Real Life Indian Startup Story with moral 

रियल लाइफ भारतीय स्टार्टअप की प्रेरणादायक कहानी 
 
कौन सोच सकता था की बचपन में घर घर जाकर अनाज मांगने वाला लड़का और जो दसवीं क्लास भी पास नहीं कर सका जिसके पास फूटे पैसे भी नहीं थे वो लड़का आज खुद एक करोड़ो की
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कम्पनी का मालिक है|
Inspirational Real Life Indian Startup Story with moral

घर घर जाकर अनाज माँगने वाले बच्चे ने कैसे खड़ी कर दी करोड़ों की कम्पनी ?

और अब उनकी कम्पनी की वजह से हजारो लोगों के घर चूल्हा जलता है| आपको बता दें की घनघोर गरीबी से निकलकर आज अरबों का साम्राज्य खड़ा करने वाले इस व्यक्ति की सक्सेस स्टोरी आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा देने वाली है|

Inspirational Real Life Indian Startup Story with moral
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Inspirational Story of Renuka Aradhya रेणुका आराध्य की प्रेरणादायक कहानी 

जी हाँ बात हो रही है रेणुका आराध्य की, जो बंगलुरु शहर के निकट गोपसंद्र Gopasandra गाँव से तालुकात रखते हैं| उनके पिता जी राज्यसरकार के माध्यम से संचालित, एक मंदिर में पुजारी का काम करते थे हालाँकि इस काम काम में उन्हें कुछ खास पैसों की वित्तीय सहायता नहीं मिलती थी| 

मंदिर में पूजा का काम ख़त्म करने के बाद उनके पिताजी जी अपने बेटे के साथ, गाँव में घूम घूमकर आटा, चावल आदि अनाज माँगा करते करते थे|

तमाम घरों से मांगकर मिले अनाज को, समीप के ही बाजार में बेचकर, बदले में मिले पैसों से घर का खर्च, बड़ी मुश्किल से चल पाता था| 

कक्षा 6 की पढ़ाई पूरी करते ही, उनके पिता जी ने उनको, लोगों के घरों में, नौकर के काम पर लगा दिया जहाँ वो लोगों के घर में साफ़ सफाई, झाड़ू पोछा और यहाँ तक की बर्तन धुलने का काम भी करने लगे|

और इसके बाद इनके पिता जी इन्हें एक बूढ़े व्यक्ति जो की कुष्ठ रोग से पीड़ित थे, के घर पर ही उनकी देखभाल और सेवा में लगा दिया और आराध्य अब उस बूढ़े व्यक्ति को अच्छे से नहलाकर धुलाकर, उनके शरीर पर मलहम लगाने का काम प्रतिदिन करने लगे|

और इतने संघर्षों के बीच ही उनके पिताजी, उनको छोड़कर इस संसार को अलविदा कहकर चल दिए और अब परिवार की सारी जिम्मेदारियाँ, उनके कन्धों  के ऊपर सम्पूर्ण रूप से आ पहुँची|

कठिनाईयों के कारण पढ़ाई छोड़ दी 

इन सब झंझावातों के कारण, पढ़ाई लिखाई का समय न मिल पाने की वजह से आराध्य, दसवीं क्लास में ही फेल हो गए और उन्होंने दसवीं क्लास के बाद पढ़ाई ही छोड़ बैठे और पैसे रुपये के चक्कर में उन्होंने Adlabs कम्पनी में, झाड़ू लगाने का काम शुरू कर दिया और कई जगहों पर मजदूरी का काम भी करने लगे|

मजदूरी का काम करते समय उन्हें बुरी आदत भी लग गई जहाँ रोज शराब पीना और जुआ खेलने का काम प्रतिदिन होने लगा लेकिन किसी तरह ये सब छोड़कर उन्होंने विवाह करने का निर्णय लिया|

और 20 वर्ष की उम्र में उन्होंने विवाह कर लिया और शादी होने के कुछ दिन बाद ही उनकी वाइफ को भी मजबूरन, किसी कम्पनी में हेल्परी का काम करना पड़ा|

न जाने कैसे कैसे काम करने पड़े 

जीवन के इस कंटीले पथरीले रास्ते पर, उन्हें न जाने कैसे कैसे काम करने पड़े जैसे प्लास्टिक बनाने की फैक्ट्री में और श्याम सुंदर ट्रेडिंग कम्पनी में एक मजदूर की हैसियत से, मात्र 600 रुपये की सैलरी पर एक सिक्यूरिटी गार्ड के तौर पर और तो और केवल 15 रुपये प्रति पेड़ के लिए, नारियल के पेड़ पर चढ़ने वाले एक माली के रूप में|

लेकिन उनके बेहतर करने के इरादे ने कभी उनका साथ नहीं छोड़ा और इसी वजह से कई बार उन्होंने अपना खुद का काम करने का सोचा और कैसे भी करके शुरू में उन्होंने 30000 रुपये इकट्ठे किये और बैग, फ्रिज कवर, सूटकेस कवर बेचने का काम शुरू कर दिया|

उनकी वाइफ सिलाई का काम करतीं और बने हुए सामान को आराध्य, बाज़ार में जाकर बेचने का काम करने लगे पर दुर्भाग्य वश उनका ये काम ज्यादा दिन नहीं चल पाया और इस काम में लगा सारा पैसा बर्बाद हो गया|

किसी ने सही ही कहा है की जब तक असफलता के काँटे पैरों में घाव नहीं पहुँचा देते तब तक सफलता के फूल खिलते भी नहीं दिखाई देते इसलिए इंसान असफल होकर वास्तव में हारता नहीं है, सच में हारता तो तब है जब वो सफलता को हासिल करने के लिए, अपनी कोशिश ही बंद कर देता है|

अधिकतर लोग हार जाने पर खुद को हारा हुआ मानकर निराशा के गर्त में चले जाते हैं लेकिन जो आदमी अँधेरे से भरे हुए रास्ते पर खुद को ही दिया बनाकर, अपने रास्ते को सुनिश्चित कर लेता है वास्तव में वो व्यक्ति ही सफल कहलाने के योग्य और कर्मवीर है|

रेणुका आराध्य की जिंदगी ने भी करवट लिया उनके एक निर्णय से| जब उन्होंने सब कुछ छोड़कर एक ड्राईवर बनने अर्थात गाड़ी चलाने का काम करने का, फैसला लिया लेकिन सबसे बड़ी बात उनके पास ड्राईवर बनने की ट्रेनिंग लेने के लिए भी, पैसे नहीं थे|

लेकिन गाड़ी तो अब चलाना था और इसी क्रम में उन्होंने, अपनी शादी की अंगूठी को गिरवी रख दिया और बदले में मिली रकम से रेणुका आराध्य ने अब गाड़ी चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस भी बनवा लिया और इसके बाद उन्हें ड्राईवर की नौकरी भी मिल गई|

क्योंकि संकट जरूरी है!  किस्मत एक बार फिर उनसे रूठी और गाड़ी चलाने के दौरान ही उनसे एक एक्सीडेंट हो गया और उन्हें इस ड्राईवर की नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा और इसके बाद रेणुका आराध्य को, अस्पताल में लाशों के परिवहन का काम, लगभग चार सालों तक करना पड़ा|

यहाँ पैसे कम मिलने के कारण रेणुका आराध्य ने, अब दूसरी कम्पनी में काम करने का मन बनाया जहाँ विदेशी पर्यटकों को टूर पर ले जाने का काम था| विदेशी पर्यटक उन्हें डॉलर में टिप में देने लगे मतलब सैलरी के साथ साथ अब टिप भी मिलने लगी| 

रेणुका आराध्य ने इन्ही टिप के पैसों को बैंक में जमा करना शुरू कर दिया और इन्ही जमा किये गए पैसों और वाइफ के पी एफ की सहायता से सन 2001 में रेणुका आराध्य ने एक पुरानी इंडिका कार खरीद ली|

और इस कार को चलाते हुए, हुई कमाई से महज डेढ़ साल के अन्दर ही दूसरी कार भी खरीद ली और धीरे धीरे उनके पास गाड़ियों की संख्या में इजाफा होने लगा| साल 2006 आते आते तक उनके पास पांच गाड़ियाँ हो गईं और अब तो खुद की सिटी सफारी नाम की कम्पनी भी शुरू कर ली|

पर कुछ बड़ा करने की अभिलाषा अभी नहीं पूरी हुई थी और कहते हैं न तक़दीर भी, हिम्मत वालों का साथ देती है और ऐसा ही कुछ रेणुका आराध्य के साथ हुआ और उन्हें पता चला की Indian City Taxi नाम की एक कम्पनी बिक रही है और उन्होंने साल 2006 में उस कम्पनी को 650000 रुपये में खरीद लिया और इस डील के वास्ते आराध्य को अपनी कई कारें तक बेचनी पड़ी थी|

रेणुका आराध्य ने अपने जीवन में ये सबसे बड़ा खतरा उठाया था और उनका यही फैसला उनका आज उन्हें कहाँ से कहाँ पहुँचा दिया|

खुद की कम्पनी Pravasi Cabs Pvt Ltd  की स्थापना 

और इसी के बाद उन्होंने अपनी कम्पनी का नाम Pravasi Cabs Pvt. Ltd. रख दिया और आज इनकी कम्पनी की अलग ही विश्वसनीयता है| 

Inspirational Real Life Indian Startup Story with moral
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और साल 2018 तक उन्होंने इस कम्पनी का विस्तार चेन्नई और हैदराबाद तक कर दिया जहाँ उनकी लगभग 1300 कैब्स चलने लगी|

बाज़ार में ओला और Uber जैसी बड़ी कैब्स कंपनियों के आने के बाद भी, उनकी कैब कम्पनी के कारोबार पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ा क्योंकि उनके अधिकतर नियमित कस्टमर हैं और उनकी सुविधा से संतुष्ट भी हैं|

Inspirational Real Life Indian Startup Story with moral

दोस्तों मेहनत और संघर्ष के बलबूते कुछ भी हासिल किया जा सकता है|

कभी घर घर जाकर भीख मांगने वाला बालक और बाद में मजदूरी और सुरक्षा गार्ड की नौकरी और बाद में 50 करोड़ की कम्पनी का मालिक|

मित्रों इस दुनिया के दो रास्ते हैं, एक में जीत तो दूसरे में हार, एक में ख़ुशी तो वहीँ दूसरे में दुःख तो ऐसे ही जिंदगी भी दो बातों पर आधारित है सफलता और असफलता|

अगर आप किसी सफल व्यक्ति की सफलता का रहस्य देखना चाहते हैं तो आप उसके इतिहास को उठाकर देख लें| उसका इतिहास होगा की वो व्यक्ति सफल होने के लिए कई बार असफलता से सामना कर चुका होगा|

जिंदगी में सफलता डरकर, घबराकर, भागकर या किसी दूसरे के द्वारा नहीं पाई जाती, सफलता तो अपनी मजबूत इच्छाशक्ति, अपने साहस और अपने आप पर विश्वास करके ही हासिल की जाती है|

आपका धन्यवाद ! Inspirational Real Life Indian Startup Story with moral 

 

 

 

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