Motivational Story in Hindi: Reliance Dhirubhai Ambani

Motivational Story in Hindi: Reliance  Dhirubhai Ambani 

धीरुभाई अम्बानी की सफलता की कहानी : प्रेरक कहानी 

मार्केटिंग जिनिअस, रिस्क टेकर , नेगोशिएसन मास्टर, शेयर मार्केट एक्सपर्ट – ये सारे नाम हैं उस 10th पास इंसान के जिसने दुनिया को बता दिया की Harvard , Stanford, ऑक्सफ़ोर्ड  यहाँ जाए बिना भी दुनिया का टॉप बिजनेसमैन बना जा सकता है, एक छोटे से गाँव से निकलकर भी पूरी दुनिया को अपनी मुट्ठी में किया जा सकता है|

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बड़ा सोचो जल्दी सोचो और आगे की सोचो क्योंकि विचारों पर किसी का एकाधिकार नहीं है – ऐसा कहना है धीरू भाई अम्बानी का जिन्होंने एक साधारण परिवार से दुनिया के सबसे अमीर इंसानों में से एक होने का संघर्ष भरा रास्ता तय किया|

धीरुभाईअम्बानी 

 

Dhirubhai Ambani Biography धीरुभाई अम्बानी जीवनी  Motivational Story in Hindi

बहुत कम लोग जानते होंगे की धीरुभाई अम्बानी का वास्तविक नाम धीरजलाल हीरालाल अम्बानी है| धीरुभाई का जन्म 28 दिसंबर साल  1932 को गुजरात के चोरवाड गाँव में हुआ था|

हाईस्कूल तक पहुँचते पहुँचते उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और उसके बाद पकोड़े बेचना शुरू कर दिया| दोस्तों धीरुभाई का मानना था की पैसे का, पढ़ाई से कोई सम्बन्ध नहीं है क्योंकि ये जरुरी नहीं की दुनिया में एक पढ़ा लिखा इंसान ही पैसे कमा सकता है|

कुछ सालों तक घूम घूमकर पकोड़े बेचने के बाद साल 1948 में सोलह 16 साल की उम्र में वे अपने भाई रमणीक भाई की सहायता से अपने एक दोस्त के साथ यमन के एडेन  शहर चले गए| एडेन पहुंचकर उन्होंने पहले पेट्रोल पंप पर गाड़ियों में पेट्रोल भरने का काम किया फिर कुछ ही दिन बाद उसी कम्पनी में क्लर्क की पोस्ट पर 300 रुपये प्रति महीने की सैलरी पर काम करने लगे|

वो अपने दिन भर के काम के बाद भी कोई न कोई पार्ट टाइम काम करते रहते थे जिसके कारण उनके संगी साथियों में उनके पास अधिक पैसा हुआ करता था लेकिन फिर भी उनके दिमाग में कहीं न कहीं ये रहता था की उन्हें अगर अमीर बनना है तो उन्हें अपना खुद का बिज़नेस करना ही होगा|

और बिज़नेस के लिए तो बहुत पैसों की जरुरत होगी| कई जगहों पर काम करने के बावजूद उन्होंने कभी भी अपने काम में कमी नहीं की और पूरी मेहनत और लगन से अपने सभी दायित्वों को पूरा किया इसीलिए उनके काम से खुश होकर कम्पनी के मालिक ने उनका प्रमोशन एक मेनेजर के पद पर, कर दिया लेकिन थोड़े दिन उस काम को करने के बाद उन्होंने ये काम भी छोड़ दिया|

और अपने वतन हिन्दुस्तान चले आये क्योंकि इनके दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था| साल 1955 उन्होंने 15000 हज़ार रुपये लगाकर अपने चचेरे भाई चम्पकलाल दमानी के साथ मिलकर मसालों की निर्यात और पालीस्टर धागे के आयात का अपना फिर से, व्यापार शुरू किया|

उनके मेहनत के दम पर अगले कुछ सालों में कम्पनी का कुल टर्नओवर दस लाख रुपये सालाना हो गया| इस समय पालीस्टर से बने हुए कपड़े भारत में नए थे और ये सूती कपड़े के मुकाबले, लोगों द्वारा ज्यादा पसंद किया जाने लगा क्योंकि ये सस्ता और टिकाऊ था और इसमें चमक होने के कारण पुराना होने के बाद भी ये कपड़ा नया जैसा दिखाई देता था|

और लोगों द्वारा पसंद किये जाने की वजह से जल्द ही उनका मुनाफा कई गुना बढ़ गया| कुछ वर्षों के बाद धीरुभाई अम्बानी और चम्पकलाल दमानी की व्यावसायिक साझेदारी समाप्त हो गई क्योंकि दोनों के स्वाभाव और व्यापार करने के तरीके बिलकुल अलग थे|

इस साझेदारी के ख़त्म होने के बाद भी धीरुभाई ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और देखते ही देखते वो समय के साथ चलते हुए टेलीकॉम, उर्जा इलेक्ट्रिसिटी और पेट्रोलियम जैसे व्यापार के क्षेत्र में कदम रखते गए|

आप उनकी सफलता का अनुमान इसी बात से लगा सकते हैं आज धीरुभाई की कम्पनी में लाखों लोग कार्यरत हैं और भारत में उनकी कम्पनी आज भी टॉप पर है|

दोस्तों अगर समय की मांग के अनुरूप आपने अपने आपको ढाल लिया न तो कुछ भी असंभव नहीं रह जाता|

Dhirubhai Ambani का जीवनकाल 

 

Motivational Story in Hindi Reliance Dhirubhai Ambani
Reliance Founder

 

6 जुलाई साल 2002 को धीरुभाई अम्बानी ने इस दुनिया को 69 साल की आयु में , अलविदा कह दिया लेकिन उनके स्वाभाव में विनम्रता की वजह से वो आज भी लोगों के दिलों में जिन्दा हैं |

धीरुभाई Dhirubhai का कहना है – 

                                  हम दुनिया को ये साबित करके दिखा सकते हैं की भारत एक सक्षम राष्ट्र है और हम भारतीयों को प्रतियोगिता से डर नहीं लगता|

धीरुभाई अम्बानी ने भारत में बिजनेस के और बिजनेसमैन के मायने को बदल दिया|

आज हम आपके साथ साझा करने वाले हैं उनके द्वारा कही हुई ऐसी पांच बहुमूल्य बातें जो अपने आप में लाइफ की बहुत बड़ी सीख हैं जो हर किसी के काम के हैं|

चाहे आप स्टूडेंट हैं, चाहे आप जॉब कर रहें हैं या बिजनेस कर रहें हैं ये life Lessons आपके हमेशा काम आने वाले हैं –

धीरुभाई का दिया पहला life lesson – 1

                                  जो सपने देखने की हिम्मत करते हैं 

                                    वो पूरी दुनिया को जीत सकते हैं|

धीरुभाई जब छोटे थे 12 – 13 साल के ही थे तब से सपने देखने की हिम्मत कर रहे थे, अभी स्कूल में ही थे उन्होंने सपना देखा अपने पांव पे खड़े होने का और पढ़ाई बीच में ही छोड़कर पर्यटकों को नाश्ते में पकोड़े बेचना शुरू कर दिए, उसके बाद सपना देखा इंडिया से बाहर जाकर जॉब करने का|

इंडिया से बाहर गए , यमन जाकर नौकरी किया| अभी जॉब करते दो साल ही हुए थे एक और सपना देखा की वापस इंडिया जाकर अपना बिजनेस करना है| 

इंडिया वापस आये, साल 1962 में अपने चचेरे भाई के साथ Reliance Commercial Corporation बनाई, सपने देखते गए आगे बढ़ते गए|

धीरुभाई ने सपने देखने की हिम्मत की और उन्ही सपनो का नतीजा है की उन सपनो को हकीकत में बदल सके|

आप भी हिम्मत करो सपने देखने की और हिम्मत करो उन सपनो को पूरा करने की क्योंकि हर चीज की शुरुवात हमेशा एक सपने से ही होती है, कोई भी बड़ी चीज पहले किसी का सपना था तो सपने देखने की हिम्मत करो क्योंकि जो सपने देखने की हिम्मत करता है वो पूरी दुनिया को जीत सकता है| 

life lesson – 2 

मुश्किल वक़्त में भी अपने लक्ष्य को मत छोड़िये और विपत्ति को अवसर में बदलिए|

दोस्तों आपको क्या लगता है धीरुभाई अम्बानी के सफ़र में इनको समस्याएं नहीं आयीं होंगी| बहुत प्रोब्लेम्स आयीं लेकिन वो एक विजेता की तरह, वो चैंपियन की तरह, एक लीडर की तरह, वो एक एचीवर की तरह हमेशा लगे रहे|

साल 1965 में उनकी पार्टनरशिप टूट गई, जिसके साथ बिजनेस शुरू किया वो इंसान, उनसे अलग हो गया लेकिन हिम्मत नहीं हारी, निराश नहीं हुए और रफ़्तार के साथ और फोकस के साथ लगे रहे|

साल 1966 फैक्ट्री बना रहें हैं अपनी पहली फैक्ट्री, रुपये की वैल्यू कम हो गयी सारे खर्चे काफी बढ़ गए लेकिन अपने लक्ष्य पर अपने सपने पर पूरा विश्वास था| अब प्रोडक्ट लांच कर लिया, अब प्रोडक्ट को मार्केट में लेकर जाना है, पुराने प्लेयर्स जो मार्केट के शहंशाह बैठे हैं उन्होंने तंग नहीं किया होगा?

उन्होंने पूरी कोशिश की इनका सामान मार्केट में न आये| व्होलसेलर्स ने भी लीडर्स की बात मानी और उनके प्रोडक्ट को मार्केट में आने से रोका उनके प्रोडक्ट्स को नहीं बेचा लेकिन वो समाधान खोजते रहे|

हेल्थ की तरफ से भी इश्यूज आये साल 1986 उनको पैरालिसिस अटैक हो गया| देखो सरकार की तरफ से, परिवार की तरफ से, हेल्थ की तरफ से वेल्थ की तरफ से प्रोब्लम्स आती रहीं और वो प्रोब्लम्स को फेस करते गए|

अपनी समस्याओं को अवसरों में बदला, उनसे सीखकर, क्योंकि उनको पता था न संघर्ष न तकलीफ तो क्या मज़ा है जीने में, बड़े बड़े तूफ़ान भी थम जातें हैं जब आग लगी हो सीने में|

दोस्तों समस्याएं हर किसी की जिंदगी में आती हैं राम जी के लाइफ में, मसीहा की लाइफ में, हमारी लाइफ में और आपकी लाइफ में, सबकी लाइफ में आती है लेकिन जो लोग समस्याओं की वजह से अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटते हैं, जो लोग प्रोब्लम्स में से सीखकर, उनको सीखने का मौका बना देते हैं सफलता उन्ही लोगों का पांव छूती है इसलिए धीरुभाई की ये बात याद रखिये कठिन समय में भी अपने लक्ष्य को मत छोड़िये और विपत्ति को अवसर में बदलिए|

दोस्तों धीरुभाई अम्बानी का तीसरा लाइफ लेसन Lesson – 3

                     व्यापार की जानकारी रिस्क लेने से मिलती है|

नॉलेज का सबसे बड़ा सोर्स रिस्क ही होता है| धीरुभाई अम्बानी को रिस्क टेकर ऐसे ही नहीं कहा जाता आप उनकी लाइफ को स्टडी करो आपको नजर आएगा की वो रिस्क लेते गए, जैसे जैसे रिस्क लेते गए उनका कॉन्फिडेंस उनकी ग्रोथ और उनकी नॉलेज बढ़ती गई जिसके साथ रिस्क का साइज़ बढ़ता गया| पहले कंट्री छोड़कर बाहर जाने के रिस्क, उसके बाद अपनी जॉब छोड़कर वापस आकर बिजनेस करने का रिस्क| 

मसालों की ट्रेडिंग कर रहे थे लेकिन देखा धागों की ट्रेडिंग करनी चाहिए उसमे ज्यादा फायदा है अपनी लाइन को बदलने का रिस्क, लोग हिम्मत नहीं करते उसके बाद देखा की फैक्ट्री लगाई जा सकती है अपनी मैन्युफैक्चरिंग करी जा सकती है फैक्ट्री लगाने का रिस्क उस टाइम में उस दौर में उसके बाद साल 1991 में उन्होंने देखा की पेट्रो केमिकल, पेट्रो केमिकल का प्लांट लगाया|

साल 1995 में कम्युनिकेशन फ़ील्ड में रिलायंस कम्युनिकेशन्स, साल 1998 में रिलायंस गैस- रिस्क लेते गए आगे बढ़ते गए| दोस्तों धीरुभाई उनमे से नहीं थे जो किनारे पर बैठकर नज़ारे देखेंगे वो उनमे से थे जो तूफानों के बीच में अपनी कश्ती लेके जायेंगे लहरों से लड़ते हुए लहरों से सीखेंगे और विजेता की तरह बाहर आएंगे|

धीरू भाई अम्बानी फोर्थ लाइफ Life Lesson – 4 

बड़ा सोचो , जल्दी सोचो, आगे की सोचो विचारों पर किसी का अधिकार नहीं होता|

धीरुभाई कहते थे की अगर आपको तरक्की करनी हैं न दूसरों से बड़ा सोचो, दूसरों से आगे सोचो, दूसरों से जल्दी सोचो वर्ना कोई और आपसे आगे सोचकर आपसे आगे निकल जायेगा| ये उनकी बड़ी सोच ही थी वो रिलायंस को साल 1977 में पब्लिक के बीच में ले आये और अपनी पहली आईपीओ IPO ऑफर की, ऐसा आज तक पहले कभी इंडिया में नहीं हुआ था पर उन्होंने किया और उसका नतीजा ये निकला की उस वक़्त 58000 हज़ार इन्वेस्टर्स आगे आये जो अपने आप में एक रिकॉर्ड था|

धीरुभाई अम्बानी की इसी सोच की वजह से रिलायंस इंडस्ट्रीज हमेशा अपने प्रतियोगियों से एक कदम आगे रही और इंडिया की वो पहली कम्पनी बनी जो Fortune 500 यानि वर्ल्ड की टॉप 500 कम्पनीज में शामिल हुई|

इसी सोच को मुकेश अम्बानी ने भी अपनाया जब उन्होंने जिओ लांच किया तो डेटा यूसेज में जिओ का रैंक 155 था लेकिन अब वो रैंक नंबर 1 हो गया, सबसे आगे हो गया|

फिफ्थ लाइफ Lesson – 5 

तुमको जो आता है वो तुम करो  बाकी सबको छोड़ दो|

दोस्तों ये सलाह बिजनेस के शहंशाह ने बॉलीवुड के शहंशाह को दी| अमिताभ बच्चन ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था की जब वो राजनीति में थे, उनको समस्याएं आ रहीं थीं उस समय उनके सामने चुनौतियाँ आ रही थी तब धीरुभाई ने उनको सलाह दिया की तुमको जो आता है वो तुम करो

अमिताभ तुम्हारा काम एंटरटेन करना है, मनोरंजन करना है, तुम एक एक्टर हो, तुम एक अभिनेता हो, नेता नहीं और अमिताभ ने उनकी सलाह मान ली, दोस्तों धीरुभाई ने भी हमेशा वो किया जो उनको आता था, उनको आता था बिजनेस मैनेज करना, उनको आता था एन्तेर्प्रेनेउर शिप करना उनको आता था दुनिया को मुट्ठी में करना और उन्होंने कर ली दुनिया मुट्ठी में|

तो ये थे पांच महत्वपूर्ण लेसंस जो हम धीरुभाई से सीख सकते हैं और अपनी जिंदगी में कहीं न कहीं किसी लेसन को यूज़ कर सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं|

धीरुभाई अम्बानी की लाइफ ने बहुत लोगों को बहुत कुछ सिखाया है लोगों को सपने देखना सिखाया , लोगों को डटे रहना सिखाया लोगों को रिस्क लेना सिखाया लोगों को आगे बढ़ना सिखाया लोगों को फोकस सिखाया|

आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद्

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