एक बहुत ही गरीब बच्चे ने कैसे बना दी विश्व प्रसिद्ध लक्ज़री कार कंपनी

Rolls Royce Success Story Expensive Car Brand

दुनिया की सबसे शानदार कारों में से एक, जिसे खरीदकर आप खुद को बिलियनेयर सक्सेसफुल बिज़नेसमैन मान सकते हैं| आज आप दुनिया के किसी कोने में पहुँच जाईये इस ब्रांड से सभी वाकिफ हैं| साल 1987 में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार कोकाकोला के बाद दुनिया का सबसे पोपुलर ब्रांड रोल्स रोयस ही है|

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अमीर शहरों जैसे दुबई, न्यूयार्क सिटी या हांगकांग की सड़कों पर आपको काफी रोल्स royce कारें दौड़ती हुई नजर आ जाएँगी | इस कम्पनी का बिज़नेस आज चालीस से भी ज्यादा देशों में कारोबार कर रहा है| पर इस ब्रांड की शुरुवात कैसे हुई थी ?

इसे शुरू किया था एक बहुत ही गरीब बच्चे ने पर उसकी सोच इतनी अमीर थी की एक सदी से इस कार को खरीदने के लिए आपका अमीर होना नहीं बल्कि बहुत ज्यादा अमीर होना जरूरी है|

दोस्तों आज हम जानेंगे इसी अत्यधिक महेंगे कार ब्रांड के बारे में| अपनी शानदार इंजन क्वालिटी और आकर्षक डिजाईन के लिए पहचानी जाने वाली रोल्स रोयस| ये अपनी कारों के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्द तो है ही | साथ ही ये एयरक्राफ्ट बनाने वाली दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कम्पनी है |

आज इतनी बड़ी और प्रतिष्ठित कम्पनी बन चुकी रोल्स रोयस की शुरुवात एक बहुत गरीब व्यक्ति ने की थी | इस कम्पनी के संस्थापक को बहुत ही तंगी और बदहाली का सामना करना पड़ा था | बहुत ही कम उम्र में इनके पिता की मृत्यु हो गई थी|

इसी वजह से स्कूल जाने की उम्र में इन्हें अखबार और टेलीग्राम को बाटने का काम भी करना पड़ा था | इसके बाद भी इतने विपरीत हालातों के बावजूद भी इन्होने कभी हार नहीं मानी |

Rolls Royce Succes Story

चलिए जानते हैं रोल्स रोयस के फाउंडर्स के बारे में | दरअसल रोल्स रोयस के संस्थापकों में 2 लोगों का नाम आता है | Frederick Royce और Charles rolls. इन्ही दोनों के नाम से कम्पनी आज भी चल रही है | लेकिन इस कम्पनी में मुख्य किरदार Frederick Royce का ही है| तो चलिए साथियों इसके लिए हम पूरी कहानी जानते हैं –

हेनरी royce का जन्म इंग्लैंड के Alwalton नामक गाँव में हुआ था| इनका परिवार एक आटे की चक्की चलाता था| ये काम अच्छी तरह से न चल पाने के कारण इनका परिवार लन्दन में आकर बस गया| उस समय हेनरी रोयस सिर्फ चार साल के थे |

यहाँ पहुँचकर हेनरी royce जैसे ही 9 साल के हुए इनके पिता की मृत्यु हो गई | पिता का सबसे बड़ा बेटा होने के कारण घर के खर्च की जिम्मेदारी इनके कंधे पर आ पहुँची|

गरीबी ने इनकी सोच और इनके पूरे जीवन पर काफी गहरा प्रभाव डाला था| ये अच्छी पढ़ाई भी नहीं कर सके थे| लेकिन जब भी इनको अवसर मिलता था कुछ भी सीखने का, ये उसे सीख जरूर लेते थे| ऐसा कर करके इन्होने अलजेब्रा, फ्रेंच भाषा और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग तक सीख लिया था|

पिता के जाने के बाद घर का खर्च चलाने के लिए इनको समाचार पत्र बेचने और टेलीग्राम बाटने जैसा बहुत सारा काम करना पड़ा| अगले कुछ सालों तक इन सभी कामो को करने के बाद ये अपनी एक आंटी की सहायता से इंग्लैंड के Peterborough पहुँच गए| जहाँ पर इन्होने रेलवे में काम किया| यहाँ से वापस आने के बाद ये एक लाइट एंड पॉवर कम्पनी में शामिल हो गए|

इस कम्पनी के तहत इनका काम सड़कों पर लाइट लगाने का काम था| अब तक हेनरी royce ने अपनी कमाई से कुछ पैसे बचा लिए थे|

अपने द्वारा बचाए गए पैसे और अपने दोस्त की मदद से साल 1884 में एक छोटी सी कम्पनी खोली| अपनी इस कम्पनी का नाम इन्होने FH Royce and Company रखा| इनकी ये कम्पनी बिजली के छोटे छोटे पार्ट्स बनाने का काम करती थी जैसे की डोर वेल, लैंप वगैरह|

और फिर अगले दस सालों में हेनरी रोयस ने अपनी इसी कम्पनी के जरिये इन्होने इलेक्ट्रिक जनरेटर ( Dynamo ) और इलेक्ट्रिक क्रेन भी बनाना आरम्भ कर दिया|

इसके बाद साल 1899 में इन्होने अपनी कम्पनी का रजिस्ट्रेशन करवा लिया| आगे चलकर जर्मनी और अमेरिका से आने वाली क्रेन और डाइनेमो से प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही थी और कम्पनी को नुकसान झेलना पड़ रहा था| और तब तक कार का भी आविष्कार हो चुका था|

उस समय कार का आविष्कार बेहद ही हैरान करने वाला आविष्कार था| हेनरी रोयस की कारों में रूचि बढ़ने लगी थी|

इसीलिए हेनरी royce ने अब कार बनाने का निर्णय लिया | मोटर कार को अच्छे से समझने के लिए इन्होने साल 1901 में De Dion और दो सिलेंडर वाली Decauville कार खरीद लिया|

इन कारों में मौजूद कमियों को इन्होने अच्छे से पहचान लिया और फिर साल 1904 में अपनी खुद की तीन कार बना डाली| इन्ही तीन कारों में से एक कार इन्होने अपने बिज़नेस पार्टनर Ernest Claremont को दे दिया| और हेनरी एडमंड ( Henry Edmunds) नाम के एक व्यक्ति ने इनकी दूसरी कार खरीद लिया|

साल 1903 में इन्होने अपना पहला पेट्रोल इंजन बनाया और अगले ही साल इन्होने अपनी बनाई हुई कार को लन्दन की सड़कों पर दौड़ा दिया|

इसके बाद रोल्स royce के दूसरे फाउंडर की कहानी शुरू होती है जिसका नाम चार्ल्स रोल्स| चार्ल्स रोल्स का जन्म साल 1877 में लन्दन में हुआ था| इन्होने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी| हेनरी रोयस की तरह ये बहुत ज्यादा गरीबी में नहीं पले थे| ट्रिनिटी कॉलेज से इन्होने पढ़ाई की थी|

इंजन से छेड़छाड़ करना इन्हें इतना ज्यादा पसंद था इन्हें लोग डर्टी रोल्स के नाम से बुलाने लगे थे| रोयस के तरह रोल्स को भी कारों में बहुत रूचि थी|

दरअसल चार्ल्स रोल्स, हेनरी एडमंस के अच्छे मित्र थे और लन्दन में ही चार्ल्स का कार का एक बड़ा शोरूम था| हेनरी एडमंस ने ही हेनरी royce और चार्ल्स रोल्स की पहली बार मुलाकात करवाई| किसी को नहीं पता था की ये मुलाकात ही ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की पूरी तस्वीर बदलने वाली थी|

रोल्स तीन से चार सिलेंडर वाली कार बना रहे थे वहीँ रोयस केवल दो सिलेंडर वाली कार बना रहे थे| चार्ल्स ने जब हेनरी royce की कार को देखा तो वो कार उन्हें बहुत अच्छी लगी|

और फिर चार्ल्स रोल्स, हेनरी royce के पार्टनर बन गए| 23 दिसंबर साल 1904 दोनों के बीच बिज़नेस समझौते हुए की royce की बनाई गई कार को रोल्स खरीदेंगे और वो सभी कारें Rolls Royce के नाम से जानी जाएँगी|

दिसंबर 1904 में रोल्स royce की पहली कार Rolls Royce 10HP बाज़ार में बिकने के लिए लांच कर दी गई| यहाँ से कार को बनाने में royce का टेक्निकल ज्ञान और रोल्स का बिज़नेस ज्ञान शानदार तरीके से काम कर गया| और फिर क्या था ? कम्पनी तेज़ी से आगे बढ़ने लगी|

साल 1907  में कम्पनी ने छः सिलेंडरों वाली ‘सिल्वर घोस्ट कार’ का निर्माण किया जोकि एक सुपर स्मूथ कार थी| इस कार को लोगों द्वारा इतना सराहा गया की इसे बेस्ट कार ऑफ द वर्ल्ड कहा जाने लगा|

रोल्स और रोयस के दो बिज़नेस पार्टनर भी थे| एक का नाम था Claude Johnson जोकि कम्पनी के मैनेजिंग डायरेक्टर थे| उन्होंने भी इस कम्पनी की सफलता काफी बड़ा रोल अदा किया है| कम्पनी की जो इज्जत आज है, प्रोडक्ट की क्वालिटी कैसी रहेगी और मार्केटिंग कैसी होगी ? ये सब claude जॉनसन ही तय करते थे|

कम्पनी की लॉन्चिंग के महज 4 साल के बाद एक अनहोनी घटना घट गई|

साल 1910 में चार्ल्स रोल्स की एक हवाई दुर्घटना में मौत हो गई| दुर्घटना के समय रोल्स की उम्र सिर्फ 32 साल थी| रोल्स की मौत के बाद सारी जिम्मेदारी हेनरी रोयस के कंधो पर आ गई थी|

चार्ल्स की कमाल की इंजीनियरिंग ने कम्पनी की जो इज्जत बना दी थी उसे बरकरार रखना हेनरी रोयस के लिए बड़ा चैलेंज बन गया था| लेकिन इन्होने हार नहीं मानी| हेनरी रोयस ने बेस्ट डिजाईन कार बेस्ट क्वालिटी मटेरियल से बनाकर अपने ग्राहकों को बेस्ट कार उपलब्ध करवाते रहे|

इसी से सम्बंधित हेनरी रोयस का एक कोट्स सुप्रसिद्ध है – जो भी करो उसमे परफेक्शन लाने के लिए झगड़ो बेस्ट को लेकर उसे बेटर बनाओ| अगर बेस्ट नहीं मौजूद है तो उसे खुद बना लो|

इसी कारण शुरुवात से ही इन लोगों ने अपनी कारों को बनाने के लिए जिस मटेरियल का इस्तेमाल किया वो अपने आप सर्वोत्तम होते थे| अगर लकड़ी लगेगी तो बेस्ट, लेदर लगेगा तो वो भी बेस्ट क्वालिटी का होगा|

इसी वजह से इनकी कारें इतनी ज्यादा महँगी होती हैं| इनके दामों में इनके रंग का भी काफी योगदान होता है| क्योंकि ये एक दो बार नहीं 7 से 21 बार कार पर कलर की कोटिंग करते आ रहें हैं|

ग्राहक जिस हिसाब से रंग का चयन करता है उसके अनुसार कार की एवरेज cost घट या बढ़ सकती है| कार के भीतर साउंड प्रूफ किया जाता है|

1914 में रोल्स royce ऑटोमोबाइल के अलावा हवाई जहाज के इंजन भी बनाना शुरू कर दी| सबसे पहले कम्पनी ने ईगल इंजन का निर्माण किया|

साल 1921 में डिमांड में बढ़ोत्तरी होने की वजह से रोल्स royce ने मेसाचुसेट्स में एक नई फैक्ट्री खोली| फिर इसी साल Sringfield Ghost नाम की एक कार बनाई|

सन 1930 में रोल्स royce ने Bentley नाम स्पोर्ट्स रेसिंग कार बनाने वाली कम्पनी को खरीद लिया लेकिन इसी बीच साल 1933 में हेनरी royce का भी देहांत हो गया|

आगे चलकर रोल्स royce की कारों में साल 1948 में डीजल इंजन लगाने की शुरुआत हुई| फिर साल 1951 में कम्पनी ने अपनी पहली लक्ज़री कार डीजल से चलने वाले इंजन के साथ लांच की|

1964 आते आते रिसर्च और डेवलपमेंट के कारण ऐरो इंजन में प्रतियोगिता बढ़ती जा रही थी| इसी वजह से रोल्स royce ने तक़रीबन 80,000 लोगों को अपनी कम्पनी में नौकरी दिया|

उस समय मैन पॉवर के हिसाब से रोल्स royce ब्रिटेन की 14वीं सबसे बड़ी कम्पनी बन गई| इसके बावजूद मंदी के माहौल में ऑटोमोबाइल के काम में कम्पनी को घाटा होता चला गया|

आखिर में साल 1998 में रोल्स royce को बेच देने का निर्णय लिया गया जिसे बोली लगाते हुए BMW और Volkswagen ने खरीद लिया|

साल 2011 के बाद ये कम्पनी Rolls-Royce Holdings PLC के रूप में काम कर रही है| इनकी गाड़ियाँ लगातार बेहतर से और बेहतर होती जा रहीं हैं|

तभी तो इस दुनिया के गिने चुने लोग ही रोल्स रोयस की कारों का शौक पूरा कर पाते हैं| ये कारें इतनी लक्ज़री और महँगी होती हैं की हर इंसान इन्हें खरीदने के लिए तरसता है| वैसे दोस्तों आपको कौन सी कार सबसे अधिक पसंद है, कमेंट में जरूर बताईये|

मित्रो हमें विश्वास है की रोल्स royce की शानदार कहानी आपको जरूर अच्छी लगी होगी| इसके फाउंडर हेनरी royce से आप जरूर प्रेरित हुए होंगे| इस प्रेरणादायक कहानी को आप अधिक से अधिक लोगों के बीच शेयर करके हमारा उत्साह में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं |

आपका कीमती समय मिलने के लिए बहुत बहुत आभार|

Fredrick Henry Royce Quotes in Hindi 

क्वालिटी याद रह जाती है जबकि कीमतें भुला दी जाती हैं – हेनरी रोयस 

आप जो कुछ भी करते हैं उसमे पूर्णता लाने की कोशिश करें |

मुझे सिर्फ एक ही अफ़सोस है की मैंने ज्यादा मेहनत नहीं करी |

 

 

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