Sadhguru Jaggi Vasudev Success Story in Hindi

Sadhguru Jaggi Vasudev Success Story in Hindi

जग्गी वासुदेव कैसे बने सद्गुरु ?

Don’t Polish Your Ignorance… It may Shine- Sadhguru
 
अधिकतर लोग पक्षी की तरह पिजरे में ही रहते है, पिंजरे का द्वार तो खुला है लेकिन वह पिंजरे में इतने व्यस्त हैं की कोई और सम्भावना उन्हें दिखाई ही नहीं पड़ती है
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अपने विचारों से करोड़ो लोगों की जिंदगी बदलने वाले सद्गुरु को बोलते हुए जो भी सुनता है वो उन्हें और, सुनने की चाहत रखता है| 

उन्होंने अपनी ईशा फाउंडेशन के माध्यम न जाने कितने लोगों के जीवन को परिवर्तित कर दिया है|

अगर आप ये आर्टिकल पढ़ रहें हैं तो जाहिर सी बात है आप सद्गुरु को जानते ही होंगे पर अगर आप नहीं जानते तो आपकी जानकारी के लिए बता दें की सद्गुरु जी एक योगी और पब्लिक स्पीकर हैं जिनको बोलते हुए सुनने के लिए लोग बहुत बहुत दूर से आते हैं|

Sadhguru Jaggi Vasudev Success Story in Hindi

 उन्होंने एक नॉन प्रॉफिट संस्था की भी स्थापना की है जो पूरे विश्व में योग को बढ़ावा देती है|

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको सद्गुरु की जिंदगी की पूरी कहानी बताने का प्रयास करेंगे की कैसे जग्गी वासुदेव बने सद्गुरु ?

जग्गी वासुदेव सद्गुरु का जीवन परिचय Sadhguru Jaggi Vasudev Biography

जग्गी वासुदेव का जन्म 3 सितम्बर साल 1957 को कर्नाटक के मैसूर शहर में हुआ था| sadhguru family जग्गी अपने चार बहनों में सबसे छोटे हैं| 

उनके पिताजी Sadhguru father इंडियन रेलवे में काम करते थे और इसी कारण उन्हें अलग अलग स्थानों पर शिफ्ट होना पड़ता था|

जग्गी वासुदेव बचपन से ही बिलकुल अलग सोच के मालिक थे| वो अगर किसी चीज को देखते थे तो देखते ही रह जाते थे और उसी के बारे में सोचते रहते थे|

उनमे एकाग्रता की शक्ति इतनी अधिक थी की उनके पिताजी को चिंता होने लगी की उनका बेटा एक ही चीज को इतनी देर तक घूरता क्यूँ रहता है ?

बहुत ही कम उम्र से ही उन्होंने खुद से सवाल करने शुरू कर दिए थे जिनके जवाब तो उन्हें और न ही किसी और को ही पता थे| जैसे की अगर उन्हें कोई पानी देता तो उस पानी को देखते रहते थे, ये सोचते हुए की पानी आखिर है क्या चीज ?

उन्हें ये तो पता था की पानी का इस्तेमाल किसलिए होता है और कैसे होता है पर उन्हें ये नहीं पता था की पानी है क्या ? उनके पिता को यहाँ तक लगने लगा था की उनके बेटे को किसी मनोवैज्ञानिक से मिलना चाहिए|

जग्गी वासुदेव बहुत शांत रहते थे, उनके अनुसार अगर उन्हें कुछ पता ही नहीं है तो उन्हें अधिक कुछ बोलना भी नहीं चाहिए| जैसे जैसे उनकी उम्र बढ़ने लगी, उनके अन्दर के सवाल और ज्यादा बढ़ने लगे|

महज 10 वर्ष से शुरू किया योग 

जग्गी वासुदेव जब दस वर्ष के हुए तो उन्हें एक योगी ने योग करना सिखाया और उसके बाद से उन्होंने प्रतिदिन योगा करना शुरू कर दिया, इससे उनके मन को काफी शांति मिलती थी|

Sadhguru Jaggi Vasudev Success Story in Hindi

जग्गी वासुदेव जब 14 वर्ष के हुए तो उन्होंने मैसूर के एक क्लाइम्बिंग क्लब को ज्वाइन कर लिया और उसी समय उन्होंने आर्मी के कर्नल कुमार के बारे में भी सुना जो कई पहाड़ों पर चढ़ाई किया करते थे और मैसूर में काफी लोकप्रिय भी हो चुके थे|

सद्गुरु ने उन्ही की क्लाइम्बिंग से प्रभावित होकर आर्मी ज्वाइन करने का फैसला लिया था| उन्होंने आर्मी की लिखित परीक्षा तो दी लेकिन प्रैक्टिकल परीक्षा देने नहीं गए|

जग्गी वासुदेव की यात्रा की शुरुवात 

वो वापस घर आये और उन्हें एहसास हुआ की अगर उन्हें अपने अन्दर के सवालों का जवाब चाहिए तो उन्हें यात्रा करनी होगी| उन्होंने पूरे दक्षिण भारत की यात्रा कर डाली| वो पहले साईकल से घूमा करते थे पर बाद में उन्होंने इस काम के लिए एक मोटरसाइकिल ले ली|

उन्होंने अगले पांच सालों तक पूरे भारत की यात्रा की और उसे देखा भी, इस तरीके से, जैसे बहुत ही कम लोगों ने देखा होगा| वो किसी भी ठिकाने पर ठहर जाते थे, किसी भी गाँव में चले जाते थे| उन्होंने हर वर्ग के इंसान को बहुत नजदीक से परखा|

उन्हें जितनी ख़ुशी और शांति यात्रा करने से मिलती थी उतनी और किसी काम में नहीं मिलती थी| भारत घूमने के बाद उन्हें एहसास हुआ की अगर उन्हें और ज्यादा घूमना तो उन्हें पैसों की जरुरत पड़ेगी|

दिव्य ज्ञान से पहले बिजनेस भी किया 

और इसी वजह से वो वापस अपने होमटाउन आये और उन्होंने एक बिज़नेस शुरू कर दिया| उनका बिज़नेस बहुत ही कम समय में काफी सफल हुआ और उन्होंने अच्छे खासे पैसे भी कमाए|

जग्गी चाहते थे की वो जल्दी से पैसे कमाकर, वापस अपने सफ़र पर निकल जायें पर वो न चाहते हुए भी अपने काम में और व्यस्त होते जा रहे थे| उनके आस पास के लोग उनसे बहुत खुश थे पर वो खुद में अधूरा महसूस करने लगे थे पर एक दिन उनकी जिंदगी में एक बहुत बड़ा मोड़ आया|

दिव्य ज्ञान की प्राप्ति और अनुभूति 

मैसूर में एक बहुत लोकप्रिय पहाड़ी है जिसका नाम है चामुंडी हिल| उन्हें एक दिन अपनी मीटिंग्स के बीच में एक घंटे का फ्री समय मिला तो उन्होंने इस घंटे में चामुंडी हिल की सैर करने का सोचा|

वो उस पहाड़ी पर गए और बड़े पत्थर पर जाकर बैठ गए| वो वहां एक योगा की स्थिति में बैठ गए और इसी क्षण उन्हें एक असाधारण एहसास हुआ| 

उन्होंने बाद में इस एहसास के बारे में बताया की उस समय तक मुझे पता था की ये मैं हूँ और ये कोई और है पर जिंदगी में पहली बार मुझे समझ नहीं आ रहा था की मैं कौन हूँ और मैं कौन नहीं हूँ और मुझे लगा की हर जगह जो हैं वो मैं ही हूँ| 

जिस पत्थर पर वो बैठे थे, जो हवा वो अन्दर ले रहे थे वो सब वहीँ हैं| मुझे लगा की ये भावनाएं सिर्फ कुछ ही मिनट्स के लिए थीं पर जब मैंने बाद में समय देखा तो मुझे पता चला की मुझे यहाँ बैठे हुए चार घंटे हो चुके हैं और उस समय उनकी शर्ट आंसुओं से भीग चुकी थी| 

वह पल उनके लिए बहुत भावुक अनुभव था|

उन्होंने अपने इस अनुभव के बारे में अपने दोस्तों को बताया पर किसी ने उनकी बातों पर विश्वास ही नहीं किया क्योंकि किसी को भी इस घटना का अर्थ नहीं पता था|

पर जग्गी वासुदेव ये जानते थे की जो उन्हें मिला है वो किसी सोने की खान से कम नहीं है और वो किसी भी कीमत पर इसे व्यर्थ नहीं जाने देंगे| इस दिन ने उनके जिंदगी के प्रति नजरिये को पूरी तरह से बदलकर रख दिया|

ज्ञान होने के बाद बिजनेस को किया दोस्त के सुपूर्द 

और इसी घटना के 6 हफ्ते बाद उन्होंने अपना बिज़नेस अपने दोस्त को दे दिया और सब कुछ छोड़कर एक नए सफ़र पर निकल पड़े|

वो अपने सवालों का जवाब चाहते थे और उन्होंने इसी के बाद दूसरों को भी योग सिखाना शुरू कर दिया| उन्होंने साल 1983 में अपनी पहली योगा क्लास रखी और इसके बाद उन्होंने हैदराबाद और कर्नाटक की अलग अलग जगहों पर जाकर योगा सिखाने लगे|

उन्हें इन कामो में जितने भी पैसे मिलते थे वो सारे के सारे पैसे एक चैरिटी में दान कर देते थे और इसी स्ट्रक्चर पर उनकी ईशा फाउंडेशन की नींव भी रखी जानी थी|

उन्होंने तक़रीबन दस सालों के बाद साल 1993 में ईशा फाउंडेशन की स्थापना करी और कुछ ही वर्षों में वो सम्पूर्ण विश्व में योगा सिखाने लगे |

उन दिनों के बाद से वो कभी रुके नहीं| साल 2018 तक करीबन 60 करोड़ लोगों ने उनके योगा कैम्पस में हिस्सा ले लिया है| उनके टॉक सेशन हाल ही में, Youtube पर काफी ज्यादा लोकप्रिय हो चुके हैं|

उनकी फाउंडेशन ने साल 2017 में, 112 फीट ऊंचे आदि योगी के स्टेचू का भी उद्घाटन किया था| आदि योगी भगवान शिव के ही एक रूप हैं जिन्होंने इंसानों को पहली बार योगा से परिचित करवाया था|

दोस्तों यही वो सफ़र था जिससे जग्गी वासुदेव , सद्गुरु बने|

उनकी जिंदगी से जुड़ी एक कंट्रोवर्सी भी है कुछ लोगों ने उनके ऊपर इल्जाम लगाया था की सद्गुरु ने अपनी पत्नी की हत्या की है पर उसका अभी तक कोई सबूत नहीं मिला| 

सद्गुरु का कहना है की उनकी पत्नी Sadhguru Wife ने अपने शरीर को महासमाधि के द्वारा छोड़ दिया था| 

सद्गुरु को पद्म विभूषण का सम्मान 

उनकी उपलब्धियों की बात की जाए तो साल 2017 में उनको भारत सरकार की तरफ से पद्म विभूषण के सम्मान से नवाजा गया|

Sadhguru Jaggi Vasudev Success Story in Hindi

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अब जब वो पीछे मुड़कर देखतें हैं तो उनके हिसाब से बिज़नेस का वो 6 साल उनकी जिन्दगी का सबसे व्यर्थ समय रहा है|

Sadhguru Books

  1. Karma- A Yogi’s Guide to Crafting Your Destiny
  2. Death: An inside Story
  3. Inner Engineering: A yogi’s Guide to Joy
  4. Emotions and Relationships
  5. Mind is Your Business/ Body the greatest gadget
  6. Mrityu- jaanen ek mahayogi se (Hindi Edition)
  7. Adiyogi- The Source of Yoga
  8. A Taste of Well-Being: Sadhguru’s Insights for Your Gastronomics
  9. Sadhguru:More than a life
  10. Chaho aur Paalo
  11. Mystic’s Musings

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