नवरात्रि बेस्ट विशेज हिंदी शायरी कलेक्शन

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Happy Navratri Best wishes Hindi Shayari Images

First Day of Navratri Happy Navratri Hindi wishes Best Shayari

Happy Navratri: नवरात्रि Navratri का पहला दिन, माँ शैलपुत्री Shailputri को समर्पित है|
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तो आज इस आर्टिकल में, आपको बताने जा रहे हैं, माँ शैलपुत्री Shailputri का स्वरुप क्या है? और हमें इनकी आराधना कैसे करनी चाहिए?
माता Shailputri शैलपुत्री की उपासना विशेषकर किन्हें करनी चाहिए?
और माँ शैलपुत्री को प्रसन्न करने का क्या उपाय है?
जो हमें जरूर करना चाहिए, तो आर्टिकल को पूरा पढ़िएगा और अंत तक पढ़िएगा| 
नवरात्रि Navratri का त्यौहार, बहुत ही मंगलकारी दिनों का समूह है| और ऐसे में नौ दिनों तक सभी भक्त, माता रानी के अलग अलग स्वरूपों की उपासना में तल्लीन रहेंगे|
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Happy Navratri Hindi wishes नवरात्रि की शुभकामनाएं 

नवरात्रि पहला दिन, शैलपुत्री Shailputri पूजा की हार्दिक शुभ कामनाएं|
Happy Ghatasthapana Shailputri Pooja! Happy Navratri to all Our Readers
May This Navratri Filled Your Life with Lots of Joy, Wealth, and better Health. Wishing You All A Happy Navratri.
आनंद सुख शांति Happy Navratri और समृद्धि की मंगल कामनाओं के साथ आपको और आपके परिवार को शारदीय नवरात्रि की शुभ मंगल कामना| Happy Navratri 
 
माँ दुर्गा आपको और आपके पूरे कुटुंब को सुख, संपत्ति, वैभव, समृद्धि और ख्याति प्रदान करें| जय माता की Happy नवरात्रि !

Happy Navratri Hindi Wishes

 माता रानी का त्यौहार आता है, लाखों खुशियाँ लाता है| 
इन नवरात्रों में माँ, वो सब आपको दे, जो आपका दिल चाहता है| Happy Navratri 
 
तमन्नाएं सारी हो पूरी, आरजू कोई भी न बचे अधूरी| 
करते हैं हाथ जोड़कर माँ से विनती, की आपकी हर मनोकामना हो पूरी| Happy Navratri 
 
नौ दिए जलें, नए पुष्प खिलें, रोज नई बहार मिले| 
नवरात्रि के इस शुभ क्षणों पर जी, आपको माता रानी का आशीर्वाद मिले|
 
नवरात्रि  के आगमन की तैयारी, सीता राम के मिलन की तैयारी 
असत्य पर सत्य के जीत की तैयारी, हो सबको इस पवित्र त्यौहार की बधाई-Happy Navratri 2022 Date.

माता शैलपुत्री का स्वरुप / माँ Shailputri Images

शैल शब्द का अर्थ होता है ” पहाड़ ” इसलिए माँ शैलपुत्री Shailputri को माता दुर्गा का ही एक अवतार हैं|

माँ शैलपुत्री Shailputri बैल पर सवारी करती हैं जो सम्पूर्ण हिमालय पर राज करती हैं| 

माता शैलपुत्री के दायें हाथ में एक त्रिशूल बाएँ हाथ में एक कमल का फूल विराजमान है| 

पर्वतराज हिमालय के घर, माता पुत्री के रूप में उत्पन्न हुईं थीं, इसलिए इनका नाम शैलपुत्री Shailputri पड़ा| 

Navratri को माता शैलपुत्री की पूजा विधि 

 

नवरात्रि पूजा सामग्री 
नवरात्रि पूजा सामग्री 

Navratri नवरात्रि के दिन माँ शैलपुत्री की पूजा करने के लिए हमें, उनकी तस्वीर रखनी चाहिए| माँ शैलपुत्री की तस्वीर न मिले तो माता नवदुर्गा , जिसमे नौ स्वरुप रहते हैं आप उनके तस्वीर के सामने भी पूजन अर्चन कर सकते हैं| 

शुभ नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की उपासना का विशेष विधान है|  माँ का यह स्वरुप बेहद ही शुभ माना गया है| खासकर महिलाओं को माता शैलपुत्री की पूजा आराधना अवश्य करनी चाहिए| इससे उनके जीवन में स्थिरता आती है| सुख सौभाग्य और समृद्धि बनी रहती है| 

माता की तस्वीर को किसी लकड़ी की चौकी पर, लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करना चाहिए| इसके बाद आपकी जो भी मनोकामना है, अपनी मनोकामना की पूर्ती के लिए मन ही मन, माता के सामने संकल्प लें|

खासकर महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान देती हैं माँ, माता को लाल पुष्प बेहद पसंद हैं| 

तो माता को लाल पुष्प अर्पित करें| और तमाम धूपदीप से माता का पंचोपचार दशोप्चार जिस भी विधि आप पूजन करना चाह्ते हैं, जरूर करें| 

Navratri के लिए  ध्यान मंत्र  

माता जी के ध्यान का मंत्र हम आपको बता दें- 

ॐ एं हीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे|

ॐ शैलपुत्री देव्यै नमः|

वन्दे वांच्छित लाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम |

वृषारुढ़ाम शूलधराम शैलपुत्रीं यशस्विनीम ||

इस मन्त्र से आपको माता का आह्वान करना चाहिए और जो भी मनोकामना है वो माता को जरूर बोलें|

माता को आप सफ़ेद भोग लगायें| 

माता को सफ़ेद भोग बहुत प्रिय हैं और इसके बाद मंत्रो का जप जरूर करें| 

मंत्रो का जप कम से कम 108 बार आपको जरूर करना चाहिए| 

अब माँ शैल पुत्री Shailputri जिनकी नवरात्रि के प्रथम दिन, हम पूजा आराधना करते हैं उनका विशेष उपाय आपको बता दें|

विशेष उपाय 

इस उपाय में आपको करना क्या है? अगर हो सके, तो माँ शैलपुत्री के चरणों में गाय का घी अर्पित करें| ऐसा करने से माता, भक्तो को आरोग्य का आशीर्वाद देती है| व्यक्ति का मन और शरीर दोनों ही निरोगी बना रहता है| तो इस तरीके से Navratri में आप माता की पूजा आराधना करें| और ये विशेष उपाय जरूर करें अपनी आरोग्यता के लिए|

माता शैलपुत्री Shailputri की कथा

माँ दुर्गा अपने पहले स्वरुप में शैलपुत्री के नाम से जानी जाती हैं| यही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं| अपने पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष के यहाँ कन्या के रूप में अवतरित हुईं थी| तब इनका नाम सती था| इनका विवाह भगवान् शंकर जी से हुआ था|

एक बार प्रजापति दक्ष ने बहुत बड़ा यज्ञ किया| इसमें उन्होंने सभी देवताओं को, अपना-अपना यज्ञ भाग ग्रहण करने के लिए आमंत्रित किया| किन्तु शंकर जी को उन्होंने इस यज्ञ में निमंत्रण नहीं दिया|

सती ने जब सुना की हमारे पिता एक अत्यंत विशाल यज्ञ का अनुष्ठान कर रहें हैं| तब वहां जाने के लिए उनका मन विकल हो उठा| अपनी ये इच्छा उन्होंने शंकर जी को बताई|

हर चीज, हर बात पर विचारमंथन करने के बाद महादेव शंकर जी ने  कहा-

” प्रजापति दक्ष किसी कारण वश हमसे रुष्ट हैं”| उन्होंने अपने यज्ञ में सभी देवता गणों को निमंत्रित किया है| उनके यज्ञ भाग भी उन्हें समर्पित किये हैं| किन्तु उन्होंने हमें जानबूझकर नहीं बुलाया है| कोई सूचना तक नहीं भेजी है| ऐसी स्थिति में तुम्हारा वहां जाना किसी प्रकार से श्रेयस्कर नहीं होगा| “

शंकर जी के मना करने के बाद माता सती अपने पिता के घर चली गईं 

भगवान शंकर जी के इतना कहने पर भी, माँ सती को उनकी बात समझ नहीं आई| अपने पिता का यज्ञ देखने की इच्छा से, वहां पहुँचकर अपनी माँ और बहनों से मिलने की उनकी व्याकुलता, किसी भी तरीके से, कम न हो रही थी|

उनके प्रचंड आग्रह को ध्यान में रखते हुए,  महादेव शंकर जी ने, उन्हें वहां जाने की आज्ञा दे दी|

सती ने पिता के घर पहुंचकर देखा की, कोई भी आदर और प्रेम के साथ, उनसे बातचीत नहीं कर रहा है| सारे लोग मुंह फेरे हुए हैं| केवल उनकी माता ने, बड़े प्रेम से उन्हें गले लगा लिया| उनकी बहनों की बातों में उपहास और व्यंग्य के भाव, झलक रहे थे| अपने प्रिय जनों के,  इस तरह के आचरण से, उनके मन में गहरी ठेस लगी|

माँ सती को अब तक अपनी गलती एहसास हो चुका था

उन्होंने यह भी देखा की वहां चतुर्दिक भगवान् शंकर के प्रति तिरस्कार का भाव भरा हुआ है| दक्ष ने उनके प्रति कुछ अपमानजनक वचन भी कहे| यह सब देखकर सती का ह्रदय क्रोध, आत्मा ग्लानि से संतप्त हो गया| उन्होंने सोचा अपने स्वामी जी की बात को न समझने के कारण, मैंने यहाँ आकर, बहुत बड़ी गलती कर दी है|

अपने पिता के द्वारा, अपने पति का इतना बड़ा अपमान, माँ सती को सहन न हो सका| उन्होंने अपने उस रूप को तत्काल, उसी स्थान पर यज्ञ की अग्नि के द्वारा जलाकर, भस्म कर डाला| वज्रपात के समान, इस दारुण दुखद घटना को सुनकर, शंकरजी क्रुद्ध हो गए और अपने गणों को भेजकर, दक्ष के उस यज्ञ का पूर्णतः विध्वंश करा दिया|

सती माता ने अपने शरीर को, आग में भस्म करने के पश्चात, फिर से जन्म लिया| और इस बार वो, शैलराज हिमालय की बेटी के रूप में, शरीर धारण किया| इस जन्म में वो, ” शैलपुत्री ” के नाम से प्रसिद्द हुईं|

माता सती के नाम ही ‘पार्वती’ और ‘हैमवती’ भी हैं|

उपनिषद की एक कथा के अनुसार, माता दुर्गा ने अपने हैमवती स्वरुप से ही  देवताओं का गर्व – भंजन किया था|

” शैलपुत्री ” देवी का विवाह भी शंकर जी से हुआ| पूर्व जन्म की भांति इस जन्म में भी, वह शिवजी की अर्धांगिनी बनी| नवदुर्गाओं में प्रथम शैलपुत्री दुर्गा का महत्व और शक्तियां अनंत हैं|

नवरात्र पूजन में प्रथम दिवस, इन्ही की पूजा और उपासना की जाती है| इस प्रथम दिन की उपासना में, योगी अपने मनको ” मूलाधार ” चक्र में स्थित करते हैं और यहीं से उनकी योग साधना का प्रारंभ होता है| 

निष्कर्ष Happy Navratri Hindi Wishes

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